क्या है इस बार की दिवाली का शुभ मुहूर्त, कैसे करें पूजन

लक्ष्मी अर्थात धन की देवी महालक्ष्मी का पूजन कार्तिक अमावस्या को सारे भारत के सभी वगरें में समान रूप से पूजा जाता है। ज्योतिष वाचस्पति शास्त्री के मुताबिक, इस बार दीपावली पर्व 23 अक्टूबर को है। उन्होंने बताया कि वैसे तो सुबह, शाम और देर रात में भी मुहूर्त है, लेकिन दीवाली पूजन का उचित समय शाम को ही होता है। इस बार दीवाली पूजन

By Preeti jhaEdited By: Publish:Wed, 22 Oct 2014 02:59 PM (IST) Updated:Thu, 23 Oct 2014 11:29 AM (IST)
क्या है इस बार की दिवाली का शुभ मुहूर्त, कैसे करें पूजन

[प्रीति झा] लक्ष्मी अर्थात धन की देवी महालक्ष्मी का पूजन कार्तिक अमावस्या को सारे भारत के सभी वगरें में समान रूप से पूजा जाता है। ज्योतिष वाचस्पति शास्त्री के मुताबिक, इस बार दीपावली पर्व 23 अक्टूबर को है। उन्होंने बताया कि वैसे तो सुबह, शाम और देर रात में भी मुहूर्त है, लेकिन दीवाली पूजन का उचित समय शाम को ही होता है। इस बार दीवाली पूजन का शुभ मुहूर्त 6.57 से प्रारंभ होगा और 8.52 तक चलेगा।

लोगों को इस मुहूर्त के बीच अपने घर में विधिवत रूप से मां लक्ष्मी के साथ कुबेर और भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। लोग मां लक्ष्मी की आराधना के लिए लक्ष्मी स्त्रोत, लक्ष्मी चालीसा, श्री सूक्त का पाठ करने के साथ उनकी आरती कर ध्यान करें। यह प्रयास करें कि पूजन मुहूर्त की अवधि में ही पूरा हो। यदि किसी कारणवश ऐसा संभव न हो सके तो मुहूर्त काल में पूजन शुरू जरूर कर लें।

कैसे करें लक्ष्मी-पूजन

1. लक्ष्मीजी के पूजन में स्फटिक का श्रीयंत्र ईशान कोण में बनी वेदी पर लाल रंग के कपडे़ पर विराजित करें साथ ही लक्ष्मीजी की सुंदर प्रतिमा रखें।

2. इसके बाद चावल-गेहूं की नौ-नौ ढेरी बनाकर नवग्रहों का सामान बिछाकर शुद्ध घी का दीप प्रज्जवलित कर धूप बत्ती जलाकर सुगंधित इत्रादि से चर्चित कर गंध पुष्पादि नैवद्य चढ़ाकर इस मंत्र को बोले- गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु, गुरु देवो महेश्वर: गुरुर साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:॥

3.इस मंत्र पश्चात इस मंत्र का जाप करें- ब्रह्मा मुरारि-त्रिपुरांतकारी भानु शशि भूमि सुता बुधश्च। गुरुश्च, शुक्र, शनि राहु, केतवे सर्वे ग्रह शांति करा भवंतु।

4. इसके बाद आसन के नीचे कुछ मुद्रा रखकर ऊपर सुखासन में बैठकर सिर पर रूमाल या टोपी रखकर, शुद्ध चित्त मन से निम्न में से एक मंत्र चुनकर जितना हो सके उतना जाप करना चाहिए। ऊं श्री ह्रीं कमले कमलालये। प्रसीद् प्रसीद् श्री ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नम:।

ओम ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं हं सो: जगत प्रसूत्ये नम:

शास्त्रों में कहा गया है कि इन मंत्रों के श्रद्धापूर्वक जाप से व्यक्ति आर्थिक व भौतिक क्षेत्र में उच्चतम शिखर पर पहुंचने में समर्थ हो सकता है। दरिद्रता-निवारण, व्यापार उन्नति तथा आर्थिक उन्नति के लिए इस मंत्र का प्रयोग श्रेष्ठ माना गया है।

गायत्री लक्ष्मी मंत्र

ऊं श्री विष्णवे च विदमहे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात।

सिद्ध मंत्र-श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्म्यै नम:।

लक्ष्मी मंत्रों का जाप स्फटिक की माला से करना उत्तम फलदायी रहता है। कमलगट्टे की माला भी श्रेष्ठ मानी गई है।

राशी के अनुसार लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त

- पंडित कृपाशंकर नाथूराम व्यास

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति की नाम राशी उसकी सफलता में बहुत योगदान रखती है। प्रकाशपर्व दिवाली पर यदि आप अपनी राशि के अनुसार देवी लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं तो माता लक्ष्मी जी जरूर प्रसन्न हो जाएंगी।

राशी पूजन समय

मेष- वृषभ लग्न

सांय 7.11 से 9.09 तक

वृषभ-सिंह लग्न रात्रि,

रात्रि 1.38 से 3.50

मिथुन- वृषभ लग्न

सांय 7.11 से 9.09

कर्क-वृषभ लग्न

सांय 7.11 से 9.09

सिंह-सिंह लग्न

रात्रि 1.38 से 3.50

कन्या-सिंह लग्न

रात्रि 1.38 से 3.50

तुला-वृषभ

सांय 7.11 से 9.09

वृश्चिक-सिंह लग्न

रात्रि 1.38 से 3.50

धनु-वृषभ लग्न

सांय 7.11 से 9.09

मकर-सिंह लग्न

रात्रि 1.38 से 3.50

कुंभ-सिंह लग्न

रात्रि 1.38 से 3.50

मीन-सिंह लग्न

रात्रि 1.38 से 3.50

चैगड़िया शुभ मुर्हत

चर - सुबह 11.30 से 1.00

लाभ - दोपहर 1.00 से 2.30

अमृत - दोपहर 3.00 से 4.00

शुभ - सांय 5.30 से 7.00

अमृत - सांय 7.00 से 8.30

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