रामायण और महाभारत काल से जुड़ी है छठ पूजा, जानें क्यों मनाते हैं यह त्यौहार
छठ महापर्व की शुरुआत 24 अक्टूबर से हो रही है। इसमें भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। इस महापर्व का संबंध रामायण और महाभारत काल से है। जानें क्यों मनाते हैं इसे...
भगवान श्रीराम ने की थी पूजा
इस महापर्व को लेकर मान्यता है कि छठ पूजा रामायण काल से होती आ रही है। जब भगवान राम अपना वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे तब इसकी शुरुआत हुई थी। सूर्य वंशी श्रीराम और सीता जी ने अपना राज्यभिषेक होने के बाद भगवान सूर्य के सम्मान में कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को उपवास रखा और पूजा अर्चना की। इसके बाद से यह पूजा एक महापर्व के रूप में मनाई जाने लगी।
कर्ण ऐसे करते सूर्य को खुश
महाभारत काल में कुंती के पुत्री कर्ण सूर्य देव के परम भक्त और उनके पुत्र भी थे। भगवान सूर्य को खुश करने के लिए कर्ण रोजाना सुबह के समय घंटों तक पानी में खड़े रह कर उनकी पूजा करते थे। कर्ण के इस तरह से ध्यान करने से सूर्य देव की उन पर विशेष कृपा होती है। इसलिए छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्यदान देने की परंपरा जुड़ी है।
द्रौपदी को मिला था खोया साम्राज्य
महाभारत काल में इससे जुड़ा एक और कारण भी बताया जाता है। कहा जाता है कि महाभारत काल में जब पांडव अपना सर्वस्व हार चुके थे। उनके पास कुछ नहीं रह गया था उस समय द्रौपदी यानी कि पांचाली ने इस व्रत का अनुष्ठान कर पूजा की। इससे द्रौपदी और पांडवों को उनका पूरा साम्राज्य वापस मिल गया था।
चार दिन मनाया जाता महापर्व
कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी को 'नहा-खा' होता है। इस दिन स्नान व भोजन ग्रहण करने के बाद शुरू होता है। दूसरे दिन पंचमी को दिनभर निर्जला उपवास और शाम को सूर्यास्त के बाद ही भोजन ग्रहण किया जाता है। तीसरे दिन षष्ठी पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के अलावा और छठ का प्रसाद बनता है। चौथे दिन सप्तमी की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ उपवास खोला जाता है।