Chanakya Niti: मूर्खों का प्रतीक बन चुके गधे से सीखें सफल बनने के 3 आवश्यक गुण
Chanakya Niti चाणक्य नीति में जीवन का अमूल्य ज्ञान दिया गया है। जिसमें आचार्य चाणक्य ने कई पशु-पक्षियों का उदाहरण देते हुए सफलता का ज्ञान दिया है। आइए चाणक्य नीति से जानते हैं कि कैसे एक गधा विद्वान बनने का महत्व ज्ञान देता है।
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Chanakya Niti: चाणक्य नीति को ज्ञान का भंडार कहा जाता है। जिसमें आचार्य चाणक्य ने सफलता प्राप्त करने के लिए कई रहस्यों को बताया है। चाणक्य नीति के माध्यम से वर्तमान समय में लाखों युवा प्रगति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya Teaching) की यह नीतियां न केवल इनका मार्गदर्शन कर रही हैं, बल्कि जीवन में कई प्रकार की अड़चनों से रक्षा कर रही हैं। आचार्य चाणक्य ने कई पशु-पक्षियों का उदाहरण देते हुए यह समझाया है कि एक व्यक्ति किस तरह इनके गुणों को अपनाकर सफल बन सकता है और जीवन में उन्नति प्राप्त कर सकता है। चाणक्य नीति के इस भाग में आइए जानते हैं कि कैसे एक गधा विद्वान बनने की शिक्षा देता है।
जानिए कि कैसे एक गधा देता है सफल बनने का ज्ञान (Chanakya Niti in Hindi)
सुश्रान्तोऽपि वहेद् भारं शीतोष्णं न पश्यति ।
सन्तुष्टश्चरतो नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात् ।।
अर्थात- जब एक गधा बहुत थक जाता है तब भी वह बोझ उठाता है और वह कभी भी सर्दी या गर्मी नहीं देखता है। साथ ही वह प्रतिदिन संतुष्ट होकर घूमता रहता है। यह तीन गुण व्यक्ति को गधे से सीखनी चाहिए।
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य बता रहे हैं कि एक व्यक्ति को विद्वान और सफल होने के लिए गधे से तीन गुण सीखने चाहिए। पहला गुण यह है कि जिस तरह गधा पूरा दिन काम करने के बावजूद भी बोझ उठाता है। ठीक उसी तरह व्यक्ति को भी किसी कार्य में आलस्य न करते हुए अपने कार्य को लक्ष्य तक पहुंचाना चाहिए। साथ ही उसे हर समय कुछ नया करने का प्रयत्न करते रहना चाहिए। दूसरा गुण चाणक्य नीति में यह बताया है कि जिस तरह एक गधा सर्दी या गर्मी को न देखे अपना कार्य एक एक समान उर्जा से करता है। ठीक उसी प्रकार एक व्यक्ति को सभी परिस्थितयों में एक समान और सकारात्मक रहना चाहिए। ऐसे ही व्यक्ति को श्रेष्ठ और विद्वान कहा जाता है। इसके साथ तीसरा गुण यह है कि जिस तरह गधा हर समय संतुष्ट रहता है, ठीक उसी तरह व्यक्ति को जितना उसके पास साधन है उतने में ही संतुष्ट रहना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिक की लालसा में व्यक्ति गलत मार्ग भी अपना सकता है।
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