आत्मज्ञान ही सच की पराकाष्ठा

श्रीबाबा मस्तनाथ शिक्षण संस्थान में बुधवार को महान सिकन्दर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता संस्थान के निदेशक डॉ. मारकंडेय आहूजा ने की।

By Edited By: Publish:Thu, 14 Jun 2012 04:25 PM (IST) Updated:Thu, 14 Jun 2012 04:25 PM (IST)
आत्मज्ञान ही सच की पराकाष्ठा

रोहतक। श्रीबाबा मस्तनाथ शिक्षण संस्थान में बुधवार को महान सिकन्दर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता संस्थान के निदेशक डॉ. मारकंडेय आहूजा ने की।

आहूजा ने कहा कि सिकन्दर महान ने प्रत्येक वह कार्य किया जो कोई शक्तिशाली शासक कर सकता था। लेकिन जब भारत को उसने जीतने का प्रयास किया तब राजा पोरस सहित भारत के विशाल ज्ञान ने सिकन्दर को आत्मज्ञान दिया। उसी सिकन्दर ने पूरे जहां को संदेश दिया।

डॉ. आहूजा ने कहा कि आत्मज्ञान ही सच की पराकाष्ठा है। लेकिन आज हम अपनी जरूरतों को नहीं अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के प्रयासों में स्वयं की मानसिकता को पूरी तरह बदल चुके हैं। दुनिया से प्रेम, सदाचार, निष्ठा जैसे शब्द जैसे गायब ही होते जा रहे हैं। इससे पहले डॉ. आरती ने महान सिकन्दर के जीवन से जुड़ी विभिन्न घटनाओं और पहलुओं से अवगत करवाया। इस अवसर पर सभी विभागों के प्राचार्य व शिक्षकगण मौजूद रहे।

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