किस कीमत पर बांधा प्रवाह सुरसरि का

8,295 मेगावाट। सुनने में यह आंकड़ा काफी जादुई लगता है लेकिन लगे हाथ जब यह जानकारी भी मिलती है कि इतने बिजली उत्पादन के लिए देव नदी गंगा पर 25, 50 नहीं पूरे 121 बांध बन रहे हैं, बनाए जाने हैं तब हैरत होती है।

By Edited By: Publish:Thu, 24 May 2012 11:01 AM (IST) Updated:Thu, 24 May 2012 11:01 AM (IST)
किस कीमत पर बांधा प्रवाह सुरसरि का

वाराणसी। 8,295 मेगावाट। सुनने में यह आंकड़ा काफी जादुई लगता है लेकिन लगे हाथ जब यह जानकारी भी मिलती है कि इतने बिजली उत्पादन के लिए देव नदी गंगा पर 25, 50 नहीं पूरे 121 बांध बन रहे हैं, बनाए जाने हैं तब हैरत होती है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के वैज्ञानिक सदस्य और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पर्यावरणविद् प्रो. बीडी त्रिपाठी ने इस मामले को गंगा की अविरलता में बाधक मानते हुए प्रधानमंत्री व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को अपनी सर्वे रिपोर्ट भेजी है। विद्युत उत्पादन में लगे विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे तो पनबिजली परियोजनाओं के पक्ष में तमाम अकाट्य तर्क प्रस्तुत किए जा सकते हैं लेकिन गंगा जैसी नदी के प्रवाह को रोककर पन बिजली प्रोजेक्ट को कहीं से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता। यदि जरूरी ही है तो गंगा के प्रवाह को बिना बाधित किए गंगा की तमाम अन्य सहायक पहाड़ी नदियों से जरूरत भर का पानी निकाल कर दो, तीन थर्मल पॉवर प्रोजेक्टों के जरिए इससे कहीं अधिक बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। प्रो. त्रिपाठी द्वारा 22 मई को प्रधानमंत्री व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को भेजी गई सर्वे रिपोर्ट ने पूरे गंगा बिजली प्रोजेक्ट को सवालों के कठघरे में ला खड़ा किया है। गंगा को बचाने के लिए किये जा रहे प्रयासों और सामाजिक आंदोलनों की हकीकत से रूबरू होने के साथ ही शासन को भी सच से सामना कराने के लिए प्रो. त्रिपाठी ने मई के प्रथम सप्ताह में उत्तराखंड में गंगा, भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, पिंडार धौलीगंज, नंदाकिनी, सोनगंगा, यमुना के साथ ही गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ, हिमालय की यात्रा की। इस 17 दिवसीय सर्वेक्षण के दौरान उन्होंने न केवल गंगा की मुख्य धाराओं का अवलोकन किया वरन प्रवाह के बाधित किए जाने के बाद जनजीवन पर इसके असर का भी अध्ययन किया। प्रो. त्रिपाठी ने बुधवार को दैनिक जागरण को बताया कि गंगा की मुख्य नदियों भागीरथी और अलकनंदा पर कुल 121 बांध बनने हैं। इनमें से भागीरथी पर 16 प्रोजेक्ट चल रहे हैं, 13 निर्माणाधीन जबकि 54 प्रस्तावित हैं। इसी क्त्रम में अलकनंदा पर 6 प्रोजेक्ट चल रहे हैं, 8 स्वीकृत हैं और 24 प्रस्तावित हैं। 22 मई को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को प्रेषित सर्वे रिपोर्ट में उन्होंने लिखा है कि इन जल विद्युत परियोजानाओं के चलते उत्तराखंड की मूल वनस्पतियों, जंतुओं का तकरीबन विनाश हो चुका है। प्राकृतिक परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं, तापक्त्रम में असामान्य बदलाव देखा जा रहा है। बांधों के बनाए जाने से एक ही स्थान पर पानी के भार का अत्यधिक दबाव बनने से भूकंप अथवा लैंड स्लाइड का खतरा मंडराने लगा है। भागीरथी पर बनाया गया टिहरी बांध मिट्टी के पहाड़ों के बीच बनाया गया है। परिणामस्वरूप 30 फीसदी पानी मिट्टी के पहाड़ों में समां जा रहा है। इससे आस-पास की पहाडि़यों को भारी खतरा उत्पन्न हो गया है। यह विनाश का सबब बन सकती है। सबसे गंभीर स्थिति यह है कि नदियों के प्राकृतिक प्रवाह पथ को पहाड़ों में सुरंग बना कर डायवर्ट किये जाने से नदियों का मूल प्रवाह सूख रहा है जिससे पारिस्थितिकी में भारी बदलाव आ रहा है। यह बड़े खतरे का संकेत है।

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