चारधाम यात्रा: जरा सी चूक, होगी जानलेवा
आम मुसाफिर हों या फिर श्री केदारनाथ के दर्शनों को जाने वाले श्रद्धालु, यदि आप रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाइवे पर सफर कर रहे हैं, तो कदम-कदम पर खतरा है। यहां जरा सी चूक सीधे जान पर आफत बन सकती है।
रुद्रप्रयाग। आम मुसाफिर हों या फिर श्री केदारनाथ के दर्शनों को जाने वाले श्रद्धालु, यदि आप रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाइवे पर सफर कर रहे हैं, तो कदम-कदम पर खतरा है। यहां जरा सी चूक सीधे जान पर आफत बन सकती है। भले ही मार्ग की बदहाली को सुधारने के कई दावे हुए हैं, लेकिन असलियत एकदम उलट है। प्रशासन की लापरवाही के चलते यात्री जान जोखिम में डाल यात्रा करने को मजबूर हैं।
जिला मुख्यालय से गौरीकुंड तक 75 किमी का सफर है। बकायदा इस मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा मिला है। तिलवाड़ा, अगस्त्यमुनि, ऊखीमठ क्षेत्र के साथ ही पूरी केदारघाटी की लाइफ लाइन के नाम से भी यह मार्ग जाना जाता है। सबसे अहम बात तो यह है कि विश्व प्रसिद्ध तीर्थ धाम भगवान केदारनाथ की यात्रा का यह इकलौता मार्ग है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि महत्वपूर्ण मार्ग होने के बावजूद भी इसकी हालत लिंक रोड से भी बदतर है। राजमार्ग के रख-रखाव की जिम्मेदारी सीमा सड़क संगठन के पास है, परंतु मार्ग को वाहनों की आवाजाही के लिए व्यवस्थित बनाए रखने के लिए कितना प्रयास किया जा रहा है, इसकी असलियत साफ देखी जा सकती है।
मौजूदा समय में रुद्रप्रयाग से तिलवाड़ा के बीच तीन जगहों, तिलवाड़ा से अगस्त्यमुनि के बीच दो जगहों और फाटा से सोनप्रयाग के बीच चार जगहों पर पुश्ते क्षतिग्रस्त पड़ हुए हैं। यही नहीं लगभग 50 किमी मार्ग उबड़-खाबड़ हालत में है। इन मार्गो पर सफर करते समय जरा सी चूक भारी पड़ सकती है। आजकल केदारनाथ यात्रा भी जोरों पर हैं और रोजाना हजारों वाहन आवाजाही कर रहे हैं, परंतु न तो बीआरओ को इसकी चिंता है और नहीं शासन-प्रशासन को। भले ही यात्रा शुरू होने से पूर्व मार्ग को बेहतर बनाने के कई दावे होते रहे हैं, लेकिन हमेशा आम मुसाफिरों व तीर्थ यात्रियों को जान-जोखिम में डालकर ही आवाजाही करनी पड़ती है।
यहां क्षतिग्रस्त हैं पुश्ते-
रुद्रप्रयाग बाईपास के समीप, भटवाड़ी सैण, तहसील से आगे, रामपुर के समीप, सिल्ली से आगे, कुंड तथा फाटा व सोनप्रयाग के बीच पांच स्थानों पर।
अधिकारी का तर्क-
रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाइवे की स्थिति को सुधारने के लिए पूर्व में बीआरओ को कह चुके हैं। पुन: संबंधित अधिकारियों से वार्ता की जाएगी। जल्द से जल्द हालत सुधारने के प्रयास किए जाएंगे।
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