वैष्णो देवी यात्रा में हृदय रोगियों के लिए इंतजाम

माता वैष्णो देवी यात्रा के दौरान हृदय रोगियों की मौत के आंकड़े को गंभीरता से लेते हुए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने यात्रा मार्ग पर बने स्वास्थ्य केंद्रों को अपग्रेड करना शुरू कर दिया है।

By Edited By: Publish:Tue, 10 Jan 2012 01:21 AM (IST) Updated:Tue, 10 Jan 2012 01:21 AM (IST)
वैष्णो देवी यात्रा में हृदय रोगियों के लिए इंतजाम

जम्मू, [रोहित जंडियाल]। माता वैष्णो देवी यात्रा के दौरान हृदय रोगियों की मौत के आंकड़े को गंभीरता से लेते हुए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने यात्रा मार्ग पर बने स्वास्थ्य केंद्रों को अपग्रेड करना शुरू कर दिया है। हृदय रोगियों के लिए अ‌र्द्धकुंवारी और भवन पर गहन चिकित्सा इकाई (आइसीयू) बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए वेंटीलेटर खरीद लिए गए हैं। यात्रा मार्ग पर प्रत्येक वर्ष औसतन 50 यात्रियों की मौत हृदयगति रुकने से होती है।

कटड़ा से माता वैष्णो देवी तक बाणगंगा, अ‌र्द्धकुंवारी, सांझीछत, हिमकोटी और भवन में स्वास्थ्य केंद्र बने हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अलावा श्राइन बोर्ड और जय दुर्गा चेरीटेबल ट्रस्ट इनमें स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवा रहे हैं। वर्ष 2008 में जब श्राइन बोर्ड ने इन स्वास्थ्य केंद्रों का सर्वेक्षण करवाया तो कई खामियां सामने आई। किसी भी केंद्र में हृदयाघात के इलाज की सुविधा नहीं थी। यात्रा मार्ग पर हृदय रोगियों की मौत की संख्या को देखते हुए अब श्राइन बोर्ड ने स्वास्थ्य केंद्रों में आधारभूत ढांचे को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाया है। अ‌र्द्धकुंवारी और भवन के अलावा बाणगंगा व सांझीछत के स्वास्थ्य केंद्रों के लिए भी आधुनिक उपकरण खरीदे गए हैं। जल्दी ही इन केंद्रों के कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।

यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य केंद्रों का मौजूदा हाल 1. चरण पादुका : स्वास्थ्य केंद्र ऐसी जगह पर खोला गया है जो स्थानीय लोगों को छोड़कर किसी को भी नजर नहीं आता। 2. अ‌र्द्धकुंवारी : स्वास्थ्य केंद्र की इमारत तो है, लेकिन सुविधाओं का अभाव है। यहां एक वर्ष में करीब 15 मरीजों की मौत हार्ट अटैक के कारण होती है। मरीज यहां केवल दवाई लेने ही आते हैं। 3. सांझीछत : सागर सूरी अस्पताल में प्रशिक्षित स्टाफ की कमी के कारण उपलब्ध मशीनरी का सही इस्तेमाल नहीं हो पाता। चौबीस बिस्तरों के इस अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग ने भी स्टाफ नियुक्त किया था। इस केंद्र में हर वर्ष औसतन 25 मरीजों की मौत दर्ज होती है, जिन्हें सांस संबंधी समस्या, हार्ट और चोट लगना प्रमुख कारण होते हैं। 4. भवन : सरकारी डिस्पेंसरी की हालत खस्ता है। मरीजों व तीमारदारों के लिए पर्याप्त जगह तक नहीं। इसमें दो डॉक्टर व सात फार्मासिस्ट नियुक्त हैं। 5. हिमकोटी : स्वास्थ्य केंद्र में हार्ट रपचर के कारण औसतन हर महीने एक यात्री की मौत दर्ज होती है। इसमें स्टाफ जय दुर्गा चेरीटेबल ट्रस्ट ने नियुक्त किया है। यहां दवाई भी ट्रस्ट मुहैया करवाता है।

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