यमुना की जंग में, हम सब संग में

शांत होता जा रहा कालिंदी का कल-कल निनाद। सिकुड़ती जा रही है उसकी धारा। आचमन योग्य नहीं रहा पवित्र जल। जिससे यमुना प्रेमियों का मन आहत है। यमुना के शुद्धिकरण और उसके संरक्षण की कामना के साथ आगरा से भी सैकड़ों श्रद्धालु वृंदावन पहुंचे और संतों द्वारा निकाली गयी पदयात्रा में कदम से कदम मिलाया।

By Edited By: Publish:Sat, 02 Mar 2013 01:21 PM (IST) Updated:Sat, 02 Mar 2013 01:21 PM (IST)
यमुना की जंग में, हम सब संग में

आगरा। शांत होता जा रहा कालिंदी का कल-कल निनाद। सिकुड़ती जा रही है उसकी धारा। आचमन योग्य नहीं रहा पवित्र जल। जिससे यमुना प्रेमियों का मन आहत है। यमुना के शुद्धिकरण और उसके संरक्षण की कामना के साथ आगरा से भी सैकड़ों श्रद्धालु वृंदावन पहुंचे और संतों द्वारा निकाली गयी पदयात्रा में कदम से कदम मिलाया।

यमुना रक्षक दल द्वारा आगरा में कई महीने से पदयात्रा की तैयारियां की जा रही थीं। शुक्रवार को करीब चार सौ यमुना प्रेमी आगरा से विभिन्न जत्थों में वृंदावन रवाना हुए। एक बस हाथीघाट पर कामच्छा देवी मंदिर से प्रात: रवाना हुई। जिसका नेतृत्व यमुना सत्याग्रही पं.अश्रि्वनी कुमार मिश्र ने किया। इस जत्थे में धमर्ेंद्र यादव, पं.रामचरन शर्मा, सूबेदार मेजर ओमप्रकाश शर्मा, राजेश अरोड़ा, योगी राजपूत आदि शामिल थे। मन:कामेश्वर मंदिर से महंत योगेश पुरी आधा दर्जन कार्यकर्ताओं के साथ एक वाहन से वृंदावन रवाना हुए। उनका कहना था कि हथिनीकुंड से जल शुद्ध मिलेगा, तभी आगरा वासियों को राहत मिल सकेगी। आगरा कैंट से एक जत्था रवाना हुआ, जिसमें नीरज यादव, राजेश निगम, प्रेमशंकर यादव, दीपक बिंद्रा, मनोज तिवारी, धीरज मोहन, प्रदीप यादव शामिल थे। सिकंदरा से जाने वाले यात्रियों में अश्रि्वनी कुमार, नरेंद्र शुक्ला, पं.तुलाराम शर्मा, रेखा वर्मा प्रमुख थे।

आगरा से सत्याग्रह का आगाज-

यमुना की रक्षा को सबसे पहले मशाल आगरा में जली थी। यह लगातार साढ़े चार साल से रोशनी दे रही है। यमुना रक्षा के लिए 13 जून 2008 से पं.अश्रि्वनी कुमार मिश्रा हाथीघाट पर सत्याग्रह कर रहे हैं।

हाथीघाट पर कामच्छा देवी मंदिर के सामने किये जा रहे इस सत्याग्रह को गांधीवादी नेता डॉ. एसएन सुब्बाराव के अलावा जल पुरुष राजेंद्र सिंह, कांग्रेस नेता भोला पांडे भी समर्थन दे चुके हैं। श्री मिश्रा ने जागरण को बताया कि उनकी मांग है कि नदी के किनारों पर सघन पौधरोपण किया जाए। नदियों में सीवर न मिलाया जाए। रिवर पुलिस और नदी प्राधिकरण का गठन किया जाए।

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