70 साल तक मौन रहे 108 वर्ष के ब्रह्मऋषि
करीब 70 साल तक मौन रहे 108 वर्ष के ब्रह्मऋषि मौनी बाबा ने मंगलवार को सबके बीच आकर अपना मौन तोड़ दिया।
उज्जैन। करीब 70 साल तक मौन रहे 108 वर्ष के ब्रह्मऋषि मौनी बाबा ने मंगलवार को सबके बीच आकर अपना मौन तोड़ दिया। अमृतमयी शिप्रा के रामघाट पर अपने मानस पुत्र संत सुमन भाई व भक्तों के साथ पहुंचे बाबा ने ओम् के उच्चारण के साथ डुबकी लगाई।
आमतौर पर साल में दो बार भक्तों को अपनी कुटिया में ही दर्शन देने वाले बाबा को सार्वजनिक रूप से अपने बीच पाकर श्रद्धालु अभिभूत हो गए। बाबा 7 दशक से गंगाघाट पर ही डेरा जमाए हुए थे। शिप्रा में स्नान के बाद बाबा को लेकर रामघाट से मंगल कलश यात्रा निकली।
इसमें सबसे आगे पंजाब का प्रसिद्ध बैंड मधुर स्वर लहरियां बिखेरते हुए चल रहा था। पीछे महिलाएं सिर पर मंगल कलश लिए हुए थीं। देशी-विदेशी भक्तों से साथ बाबा विशेष रथ पर चांदी के सिंहासन पर बैठे थे। रथ पर चांदी से निर्मित विशाल अमृत कलश भी था। यात्रा के समापन पर इसे मौनतीर्थ पर विद्वान ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रों से अभिमंत्रित कर स्थापित किया गया।