जो हृदय बदल दे वही सत्संग

सीताराम विवाह पंचमी के उपलक्ष्य में संकटमोचन मंदिर में आयोजित मानस सम्मेलन के दूसरे दिन मंगलवार को वक्ताओं ने कहा कि जो हृदय बदल दे वहीं सत्संग है। उसमें भगवान ही श्रोता और वही वक्ता होते हैं। उनके भजनों से विश्वास उत्पन्न होता है।

By Edited By: Publish:Wed, 19 Dec 2012 11:46 AM (IST) Updated:Wed, 19 Dec 2012 11:46 AM (IST)
जो हृदय बदल दे वही सत्संग

वाराणसी। सीताराम विवाह पंचमी के उपलक्ष्य में संकटमोचन मंदिर में आयोजित मानस सम्मेलन के दूसरे दिन मंगलवार को वक्ताओं ने कहा कि जो हृदय बदल दे वहीं सत्संग है। उसमें भगवान ही श्रोता और वही वक्ता होते हैं। उनके भजनों से विश्वास उत्पन्न होता है।

मुख्य वक्ता आगरा के श्रीनिवास पाठक ने कहा कि भगवान राम गए शिक्षा प्राप्त करने लेकिन लौटे विवाह कर जो कलंक की बात थी। इसलिए विश्वामित्र ने स्वयंवर को धनुषयज्ञ का नाम दिया ताकि भगवान को कलंक न लगे। कहा कि रामकथा का असली आनंद साक्षर होने पर ही है। गुरु रक्षा के लिए श्रीराम सदा तत्पर रहते थे। इस कारण ही दशरथ ने विश्वामित्र को अपने पुत्रों को बेझिझक भेज दिया था।

सीता सखियों ने खिलाया भगवान राम को कलेवा- रामजानकी मठ में राम विवाह पंचमी के दूसरे दिन मंगलवार को सीता सखियों ने भगवान को कलेवा खिलाया। इसमें 56 भोग परोसे, मंगल गीत गाए और गाली भी दी। भक्तों में प्रसाद रूप में कलेना वितरित किया गया। इसमें संतों के साथ ही श्रद्धालु शामिल रहे। संयोजन महंत राजकुमार दास ने किया।

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