Tulsi Vivah 2023: अगर पहली बार कर रहे हैं तुलसी विवाह, तो जरूर बना लें ये जरूरी सामग्री लिस्ट

Tulsi Vivah 2023 Date कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष में पड़नी वाली द्वादशी को तुलसी विवाह किया जाता है। माजा जाता है कि जो साधक तुलसी जी का विधि-विधान पूर्वक विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम से करवाता है उसे घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। ऐसे में यदि आप पहली बार तुलसी विवाह करने जा रहे हैं तो पूजा में ये सामग्री शामिल करना न भूलें।

By Suman SainiEdited By: Publish:Thu, 23 Nov 2023 10:36 AM (IST) Updated:Thu, 23 Nov 2023 10:36 AM (IST)
Tulsi Vivah 2023: अगर पहली बार कर रहे हैं तुलसी विवाह, तो जरूर बना लें ये जरूरी सामग्री लिस्ट
Tulsi Vivah 2023 Samagri List तुलसी विवाह सामग्री लिस्ट

HighLights

  • देवउठनी एकादशी पर योग निद्रा से जागते हैं भगवान विष्णु।
  • देवउठनी एकादशी के एक दिन बाद किया जाता है तुलसी विवाह।
  • विधि-विधान से किया जाता है तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Tulsi Vivah Pujan Vidhi: सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना गया है, इसलिए उन्हें तुलसी मां या तुलसी महारानी करहकर भी पुकारा जाता है। कार्तिक माह में प्रबोधिनी एकादशी आती है, जिसे देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है। इसके अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर तुलसी विवाह किया जाता है। कुछ साधक देवउठनी एकादशी पर भी तुलसी विवाह करते हैं।

तुलसी विवाह का मुहूर्त (Tulsi Vivah Muhurat)

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 23 नवंबर रात 09 बजकर 01 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं, इसका समापन 24 नवंबर, शाम 07 बजकर 06 मिनट पर होगा। ऐसे में तुलसी विवाह 24 नवंबर को किया जाएगा। इस दौरान प्रदोष काल शाम 05 बजकर 25 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तक रहेगा।

जरूर बना लें ये सामग्री (Tulsi Vivah Samagri List)

तुलसी का पौधा, शालिग्राम, विष्णुजी की प्रतिमा लकड़ी की चौकी गन्ना, मूली, आंवला, शकरकंद, बेर, सिंघाड़ा, सीताफल धूप-दीप, फूल, हल्दी की गांठ लाल चुनरी, चूड़ियां और शृंगार की सामग्री बताशा, मिठाई अक्षत,रोली, कुमकुम

तुलसी विवाह पूजा विधि (Tulsi Vivah Pujan Vidhi)

तुलसी विवाह के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें। पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई के बाद गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद वहां दो लकड़ी की चौकी रखें और उसपर लाल रंग का आसन बिछाएं। एक कलश में गंगा जल भरकर उसमें आम के 5 या 7 पत्ते डालें। तुलसी के गमले को गेरू से रंगने के बाद एक आसन पर स्थापित करें और दूसरे आसन पर शालिग्राम जी को स्थापित कर दें।

अब दोनों चौकियों के ऊपर गन्ने से मंडप तैयार कर लें। इसके बाद शालिग्राम और तुलसी जी के सामने घी का दीपक जलाएं। इसके बाद तुलसी जी को रोली-कुमकुम से तिलक लगाएं और उसका शृंगार करें। शृंगार के दौरान तुलसी महारानी को लाल चुनरी भी पहनाएं। इसके बाद शालिग्राम जी को चौकी के साथ, हाथ में लेकर तुलसी जी की 7 बार परिक्रमा करें और अपने परिवार की खुशहाली के लिए कामना करें।

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