माघ मास में मंगलवार के व्रत से मनुष्य के समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं

मंगलवार के व्रत से मनुष्य के समस्त दोष नष्ट होते हैं। पूजन के समय लाल पुष्पों को चढ़ाएँ, लाल वस्त्र धारण करें। अंत में हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए तथा मंगलवार की कथा सुननी चाहिए।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Mon, 16 Jan 2017 01:39 PM (IST) Updated:Tue, 17 Jan 2017 09:47 AM (IST)
माघ मास में मंगलवार के व्रत से मनुष्य के समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं
माघ मास में मंगलवार के व्रत से मनुष्य के समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं

मकर संक्रांति से लेकर कुंभ संक्रांति तक पूरा एक महीना माघ माहात्म्य व्रत, पूजा एवं जप तप अनुष्ठानों का कहलाता है। शास्त्रों के अनुसार इस महीने किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों का फल कई गुना अधिक मिलता.माघ महीने में मंगलवार एवं बृहस्पतिवार के व्रतों का विशेष महत्व बताया गया है, जिनके करने से आत्म कल्याण के साथ-साथ लोक कल्याण का भी पुण्य प्राप्त होता है।

इस महीने सर्व सुख, रक्त विकाराय, राज्य सम्मान तथा पुत्र की प्राप्ति लिए मंगलवार का व्रत उत्तम है। इस व्रत में गेहूँ और गुड का ही भोजन करना चाहिए। भोजन दिन रात में एक बार ही ग्रहण करना ठीक है। यह व्रत 21 सप्ताह तक करें।

माघ मास में मंगल व्रत करने से अनंत फल मिलते हैं।

मंगलवार के व्रत से मनुष्य के समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं। व्रत के पूजन के समय लाल पुष्पों को चढ़ाएँ और लाल वस्त्र धारण करें। अंत में हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए तथा मंगलवार की कथा सुननी चाहिए।

जानिए मंगलदोष शांति के उपाय: —-

वैसे तो हमारे सभी वैदिक ग्रंथों और ज्योतिषीय ग्रंथों में मंगलदोष निवारण के अनेकानेक उपाय बताये गए हैं जैसे—

लाल पुष्पों को जल में प्रवाहीत करें।

मंगलवार को गुड़ व मसूर की दाल जरूर खायें।

मंगलवार को रेवडि़या पानी में विसर्जित करें।

आटे के पेड़े में गुड व चीनी मिलाकर गाय को खिलायें।

मीठी रोटियों का दान करें।

ताँबे के तार में डाले गये रूद्राक्ष की माला धारण करें।

मंगलवार को शिवलिंग पर जल चढ़ावे।

बन्दरों को मीठी लाल वस्तु जैसे – जलेबी, इमरती, शक्करपारे आदि खिलावे।

शिवजी या हनुमान जी के नित्य दर्शन करें और हनुमान चालीसा या महामृत्युन्जय मंत्र की रोजाना कम से कम एक माला का जाप करे। हनुमान जी के मन्दिर में दीपदान करें तथा बजरंग बाण का प्रत्येक मंगलवार को पाठ करे।

गेहूँ , गुड़, मंूगा, मसूर, तांबा, सोना, लाल वस्त्र, केशर – कस्तूरी, लाल पुष्प , लाल चंदन , लाल रंग का बैल, धी, पीले रंग की गाय, मीठा भोजन आदि लाल वस्तुओं का दान मंगलवार मध्यान्ह में करें। दीन में मंगल यंत्र का पूजन करें। मंगलवार को लाल वस्त्र पहने।

स्नान के बाद सूखे वस्त्र को हाथ लगाने से पहले पूर्व दिशा में मुँह करके सूर्य का अर्ध देकर प्रणाम करें। (

शयन कक्ष में पलंग पर काँच लगे हो तो उन्हें हटा दे, मंगल का कोप नहीं रहेगा अन्यथा उस काँच में पति – पत्नि का जो भी अंग दिखाई देगा वह रोगग्रस्त हो मन का कारक चन्द्रमा होता हैं जिसके कारण मन को चंचलता प्राप्त होती हैं।

मंगल के कोप के कारण बार – बार संतान गर्भ में नष्ट होने से पति-पत्नी के बीच तनाव , रोग एवं परेशानियां उत्पन्न होती हैं ऐसी स्थिति में पति – पत्नी को महारूद्र या अतिरूद्र का पाठ करना चाहिए।

मंगल की अशुभ दशा , अन्तर्दशा में पति – पत्नी के बीच कलह , वाद – विवाद व अलगाव सम्भावित हैं। ऐसी स्थिती में गणपति स्त्रोत , देवी कवच , लक्ष्मी स्त्रोत , कार्तिकेय स्त्रोत एवं कुमार कार्तिकेय की नित्य पूजा अर्चना एवं पाठ करना चाहिए।

जिन युवक-युवतियों का विवाह मंगल दोष के कारण नहीं हो रहा हैं, उन्हें प्रतीक स्वरूप विवाह करना चाहिए। जिनमें कन्या का प्रतीक विवाह भगवान विष्णु से या सालिग्राम के पत्थर या मूर्ति से कराया जाता हैं। इसी प्रकार पुरूष का प्रतीक विवाह बैर की झाडि़यों से कराया जाता हैं।

विवाह के इच्छुक मांगलिक युवक-युवतियों को तांबंे का सिक्का पाकेट या पर्स में रखना चाहिए। तांबें की अंगुठी अनामिका अंगुली में धारण करे, तांबे का छल्ला साथ रखें, रात्रि में तांबे के पात्र में जल भरकर रखें व प्रातः काल उसे पीयें।

प्रतिदिन तुलसी को जल चढ़ाने और तुलसी पत्र का सेवन करने से मंगल के अनिष्ठ शांत होते हैं।

मूंगा या रूद्राक्ष की माला हमेशा अपने गले में धारण करें ।

आँखो में सुरमा लगावें । जमीन पर सोयें । गायत्री मंत्र का जाप संध्याकाल में करें ।

नित्य सुबह पिता अथवा बड़े भाई के चरण छुकर आशीर्वाद लेवें ।

मंगल की शांति हेतु मूंगा रत्न धारण करना चाहिए इसके लिए चांदी की अंगुठी में मूंगा जड़वाकर दायें हाथ की अनामिका में धारण करना चाहिए। मंूगे का वजन 6 रत्ती से अधिक होना चाहिए। धारण करने से पूर्व मूंगे को गंगाजल, गौमूत्र अथवा गुलाब जल से स्नान करवाकर शुद्ध करें तत्पश्चात विधि अनुसार धारण करें।

जो जातक मूंगा धारण नहीं कर सकते उन्हें तीनमुखी रूद्राक्ष धारण कराना चाहिए । तीन मुखी रूद्राक्ष को लाल धागे में गुथकर धूपित करके, मंगलवाल के दिन गले या दाहिने हाथ में धारण करें । इसके प्रभाव से उन्हें मंगल शांति में सफलता मिलती हैं ।

क्रुर व उग्र होते हुए भी सौम्य ग्रहों की युति से मंगल विशेष सौम्य फल प्रदान करता हैं । चन्द्र व मंगल की युति आकस्मिक धनप्राप्ति, शनि मंगल की युति डुप्लीकेट सामान बनाने व नकल करने में माहिर बनाता हैं, ऐसा व्यक्ति कार्टूनिस्ट, पोट्रेट आर्टिस्ट व मुखौटे बनाने में निपुण हो सकता हैं । शुक्र व मंगल की युति फोटोग्राफी, सिनेमा तथा चित्रकारी आदि की योग्यता भी देता हैं । बुध के साथ युति होने पर जासूस का वैज्ञानिक और मांगलिक प्रभाव भी नष्ट करता हैं, किन्तु जिन घरों पर वह दृष्टि डालता हें वहां अवश्य ही हानि करने वाला होता हैं । कुण्डली में सातवां घर मंगल का ही माना जाता हैं क्योकिं यह मंगल की उच्च राशि हैं । अतः सातवां घर मंगल की स्वराशि का घर कहलाता हैं ।

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