Lord Shiv: सोमवार के दिन इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, बिजनेस में मिलेगी सफलता

सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोमवार के दिन भगवान शिव (Lord Shiv) की पूजा और व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सोमवार के दिन भगवान महादेव की सच्चे मन से पूजा और व्रत करने से साधक को बिजनेस में सफलता मिलती है और धन का लाभ मिलता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Publish:Sun, 17 Mar 2024 05:50 PM (IST) Updated:Mon, 18 Mar 2024 09:08 AM (IST)
Lord Shiv: सोमवार के दिन इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, बिजनेस में मिलेगी सफलता
Lord Shiv: सोमवार के दिन इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, बिजनेस में मिलेगी सफलता

HighLights

  • सोमवार का दिन भगवान शिव का प्रिय है।
  • इस दिन महादेव की विशेष की पूजा की जाती है।
  • शिवलिंग का विशेष चीजों से अभिषेक करना चाहिए।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lord Shiv Puja Vidhi: सोमवार का दिन भगवान शिव को प्रिय है। यही वजह है कि इस दिन भगवन भोलेनाथ की पूजा और व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सोमवार के दिन भगवान महादेव की सच्चे मन से पूजा-व्रत करने से साधक को बिजनेस में सफलता मिलती है और धन का लाभ मिलता है। ऐसा माना जाता है कि अगर भगवान शिव की पूजा विधिपूर्वक और अंत में आरती की जाए, तो ईश्वर प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा साधक पर सदैव बनी रहती है। आइए जानते हैं कि महादेव की पूजा किस तरह करना फलदायी होता है।

ऐसे करें पूजा

सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत भगवान शिव के ध्यान से करें। अब स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।   सूर्य देव को जल अर्पित करें। पंचामृत से विधिपूर्वक भोलेनाथ का अभिषेक करें। अब एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें। अब उन्हें सफेद चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद महादेव को सफेद फूल, धतूरा, भांग और बेलपत्र अर्पित करें। देशी घी का दीपक जलाएं और आरती करें।   सोमवार की व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। इसके बाद खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं।   अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें।  

यह भी पढ़ें: Holashtak 2024: होलाष्टक के दौरान इन बातों का रखें विशेष ध्यान, जीवन में होगी खुशियों की बरसात

भगवान शिव की आरती

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥

यह भी पढ़ें: Holashtak 2024: कब से शुरु है होलाष्टक ? जानिए सही तिथि और धार्मिक महत्व

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

chat bot
आपका साथी