Sheetala Mata Vrat Katha: शांति, शीतलता और आरोग्य प्रदान करती हैं शीतला माता, पढ़ें ये व्रत कथा

Sheetala Mata Vrat Katha शीतला माता का व्रत कर रहे हैं तो पढ़ें ये व्रत कथा। माता प्रदान करती हैं शांति शीतलता और आरोग्य...

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 07 Aug 2020 07:45 AM (IST) Updated:Fri, 07 Aug 2020 08:41 AM (IST)
Sheetala Mata Vrat Katha: शांति, शीतलता और आरोग्य प्रदान करती हैं शीतला माता, पढ़ें ये व्रत कथा
Sheetala Mata Vrat Katha: शांति, शीतलता और आरोग्य प्रदान करती हैं शीतला माता, पढ़ें ये व्रत कथा

Sheetala Mata Vrat Katha: एक ब्राह्मण दंपत्ति गांव में रहा करते थे। दोनों के दो बेटे और दो बहुएं थीं। दोनों बहुओं के काफी समय बाद बेटे हुए थे। इतने में ही शीतला सप्तमी का पर्व आ गया। इस पर्व के अनुसार ही ब्राह्मण के घर में ठंडा भोजन तैयार किया गया। दोनों बहुओं ने सोचा कि अगर वो ठंडा भोजन करेंगी तो बीमार हो जाएंगी। उनके तो बच्चे भी अभी छोटे हैं। इसी के चलते दोनों ने पशुओं के दाने जिस बर्तन में तैयार किए जाते थे उसी में चुप-चाप दो बाटी तैयार कर लीं। फिर तीनों सास बहुओं ने मिलकर शीतला माता की पूजा की और कथा सुनी। फिर तीनों भजन करने बैठ गईं। लेकिन दोनों बहुओं ने बच्चों के रोने के बहाने वहां से निकलकर घर आ गईं।

घर आकर दाने के बर्तन में उन्होंने गर्म-गर्म रोटला निकाले। साथ ही चूरमा भी लिया और मजे से खाया। जब सांस घर आई तो उसने बहुओं खाना खाने के लिए कहा। लेकिन दोनों ने ठंडा खाना न खाने के बहाने के लिए घर का काम करना शुरू कर दिया। सास ने कहा कि बच्चों को भी जागकर भोजन कर दो। जब बहुएं अपने बच्चों को जगाने गईं तो उन्हें मरा हुआ पाया। यह शीतला माता का प्रकोप था क्योंकि बहुओं ने नियम को तोड़ा था। फिर बहुओं ने विवश होकर सास को सब बता दिया। सास ने कहा कि उन्होंने शीतला माता की अवेहलना की है। उन्होंने अपने बहुओं से घर छोड़कर जाने को कहा। साथ ही कहा कि जब बच्चे जिन्दा और स्वस्थ हों तभी घर में कदम रखना।

दोनों बहुओं ने अपने मरे हुए बेटों को टोकरे में सुलाया और घर से चली गईं। रास्ते में एक एक खेजड़ी का जीर्ण वृक्ष आया। इस पेड़ के नीचे ओरी और शीतला दो बहनें बैठी थीं। दोनों के सिर में अपार जुएं थीं। दोनों बहुएं वहीं जाकर बैठ गईं। उन दोनों ने शीतला-ओरी के बालों से खूब सारी जूं निकाली। इससे ओरी और शीतला ने अपने सिर में शीतलता का अनुभव किया। उन दोनों ने बहुओं से कहा कि तुम दोनों ने हमारे सिर को शीतलता प्रदान की है। तुम्हें पेट की शांति मिले।

दोनों बहुओं ने इस पर कहा कि हम अपने पेट का दिया हुआ लेकर दर-दर भटक रहे हैं। लेकिन शीतला माता के दर्शन नहीं हो रहे हैं। तब शीतला माता ने कहा कि तुम दोनों ने पाप किया है। तुम्हारा तो मुंह देखने के भी योग्य नहीं है। शीतला सप्तमी के दिन जब ठंडा भोजन किया जाता है तब तुमने गर्म भोजन किया। यह सुनकर ही दोनों बहुएं शीतला माता को पहचान गईं। दोनों ने माता से वंदन किया और कहा कि उन्होंने अनजाने में गर्म खाना खा लिया। उन्हें माफ कर दें। दोबारा ऐसा दुष्कृत्य उनसे कभी नहीं होगा।

यह सुनकर दोनों माताएं बेहद प्रसन्न हुईं। माता ने उन दोनों के बच्चों को जीवित कर दिया। दोनों अपने जीवित बच्चों के साथ अपने गांव लौट आईं। जब गांव के लोगों को पता चला कि दोनों बहुओं को शीतला माता के दर्शन हुए हैं तो उनका स्वागत बेहद धूम-धाम से किया गया। दोनों ने कहा कि वो गांव में शीतला माता का मंदिर बनवाएंगी। साथ ही चैत्र महीने में शीतला सप्तमी के दिन सिर्फ ठंडा भोजन ही करेंगी। जिस तरह शीतला माता की कृपा दोनों बहुओं पर हुई वैसी ही हम सभी पर भी बनी रहे। वो हम सभी को शांति, शीतलता और आरोग्य प्रदान करें।

शीतले त्वं जगन्माता

शीतले त्वं जगत् पिता।

शीतले त्वं जगद्धात्री

शीतलायै नमो नमः।।

|| बोलो श्री शीतला मात की जय | 

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