Sawan 2020: भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन मास, जानें इसका पौराणिक महत्व

Sawan 2020 सबसे प्रमुख सवाल यह है कि भगवान शिव को सावन या श्रावण मास क्यों प्रिय है? दूसरा सवाल यह है कि श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक क्यों करते हैं?

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 08:00 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 07:07 AM (IST)
Sawan 2020: भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन मास, जानें इसका पौराणिक महत्व
Sawan 2020: भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन मास, जानें इसका पौराणिक महत्व

Sawan 2020: देवों के देव महादेव के प्रिय मास सावन का प्रारंभ 06 जुलाई दिन सोमवार से हो रहा है। इस दिन वैधृति योग में सावन मास का प्रारंभ हो रहा है। सोमवार के दिन से प्रारंभ होकर सोमवार के दिन ही इसका समापन भी हो रहा है, इसलिए इस वर्ष का सावन मास विशेष है। सबसे प्रमुख सवाल यह है कि भगवान शिव को सावन या श्रावण मास क्यों प्रिय है? दूसरा सवाल यह है कि श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक क्यों करते हैं?

सावन में धरती पर निवास करते हैं शिव-शक्ति

ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट बताते हैं कि शिव-पुराण में लिखा गया है कि श्रावण मास में भगवान शिव शक्ति अर्थात् देवी पार्वती के साथ भू-लोक में निवास करते हैं। अतः शिव के साथ भगवती की भी पूजा करनी चाहिए। श्रावण मास में भगवान शिव की जलहरि या अर्घे में भगवती पार्वती का निवास होता है।

ससुराल में जलाभिषेक से प्रसन्न हुए थे महादेव

उनका कहना है कि भगवान भोलेनाथ जब पहली बार ससुराल जाने के लिए धरती पर अवतरित हुए तो वह सावन मास था। ससुराल में उनका जलाभिषेक से स्वागत किया गया। इससे वह बेहद प्रसन्न हुए। फिर ऐसी मान्यता बन गई कि भगवान शिव हर वर्ष श्रावण मास में अपने ससुरात जाते हैं, इसलिए श्रावण मास में उनका जलाभिषेक करके उनको प्रसन्न​ किया जा सकता है और आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

सावन में शिव ने किया था विषपान

सावन मास की पौराणिक महत्ता से जुड़ी एक और घटना है। समुद्र मंथन सावन मास में हुआ था। जब मंथन से विष निकला तो पूरे संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। विष से उनका कंठ नीला पड़ गया, जिससे वे नीलकंठ कहलाए। विष का प्रभाव महादेव पर न हो या कम हो, इसलिए समस्त देवताओं ने भगवान शिव को जल ​अर्पित किया। इससे भगवान शिव को काफी राहत मिली और वे प्रसन्न हुए।

इस घटना के बाद से ही हर वर्ष सावन मास में भगवान शिव को जल अर्पित करने या उनका जलाभिषेक करने की परंपरा बन गई। ऐसी मान्यता है कि सावन में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जिस तरह उन पर छाए संकट के बादल मिट गए, वैसे ही उनके भक्तों के भी संकट दूर हो जाएंगे।

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