क्‍या है फुलैरा दूज और क्‍यों मनायी जाती है, ऐसे करें पूजा

होली के आगमन का प्रतीक मानी जाती है फाल्‍गुन माह की द्वितीया को मनायी जाने वाली फुलैरा दूज। इस राधाकृष्‍ण की पूजा की जाती है।

By Molly SethEdited By: Publish:Fri, 16 Feb 2018 02:50 PM (IST) Updated:Sat, 17 Feb 2018 09:55 AM (IST)
क्‍या है फुलैरा दूज और क्‍यों मनायी जाती है, ऐसे करें पूजा
क्‍या है फुलैरा दूज और क्‍यों मनायी जाती है, ऐसे करें पूजा

फुलैरा दूज का मुहूर्त 

वसंत पंचमी के बाद महीने में आती है फुलैरा दूज। हर साल इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। होली से पूर्व गांवों और विशेष रूप से उत्तर भारत में फुलैरा दूज का उत्‍सव बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन फूलों से रंगोली भी बनाई जाती है। ये त्‍योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस साल यह तिथि 17 फरवरी को पड़ रही है। फुलैरा दूज के पूजन का समय दिन में 3 बज कर 56 मिनट से 18 फरवरी शाम 4 बज कर 50 मिनट तक रहेगा।

फुलैरा दूज का महत्‍व

कुछ लोग फुलैरा दूज को होली रखना भी कहते हैं। यह पर्व होली के आने की पूर्व सूचना भी समझा जाता है। इसी वजह से फुलैरा दूज के बाद से ही होली की तैयारियां शुरू की जाती हैं। ऐसी भी मान्यता है कि फुलैरा दूज इस माह का सबसे शुभ दिन होता है और इस दिन किसी भी शुभ काम को किया जा सकता है। पंडितों के अनुसार के अनुसार इस दिन किसी भी मुहूर्त में शादी की जा सकती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और राधा की पूजा की जाती है और उनका फूलों से श्रंगार किया जाता है। 

ऐसे करें पूजा

इस दिन मथुरा और वृंदावन में लगभग सभी मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है और फूलों की होली खेली जाती है। इसके साथ ही उनकी मूर्ति पर अबीर और गुलाल भी चढ़ाया जाता है। घरों में पूजा करने के लिए प्रात:काल उठ कर सबसे पहले स्‍नान के पश्‍चात अबीर या गुलाल की रंगोली बनायें। फिर घर में मौजूद कृष्ण और राधा की मूर्ति को फूलों से सजायें। इसके बाद पूजा करते वक्त कृष्ण जी को मीठे पकवानों का भोग भी लगाया जाता है। भगवान की आरती करें और इन्हीं पकवानों को सभी लोगों में बांटें। 

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