Papankusha Ekadashi Vrat Katha: व्रत करने से व्यक्ति समस्त पापों से हो जाता है मुक्त, पढ़ें यह व्रत कथा

Papankusha Ekadashi Vrat Katha आज पापांकुशा एकादशी है। पूजा करते समय व्रत कथा पढ़नी चाहिए। आइए पढ़ते हैं पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा। एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा हे भगवान! आश्विन शुक्ल एकादशी का क्या नाम है?

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 27 Oct 2020 06:30 AM (IST) Updated:Tue, 27 Oct 2020 03:22 PM (IST)
Papankusha Ekadashi Vrat Katha: व्रत करने से व्यक्ति समस्त पापों से हो जाता है मुक्त, पढ़ें यह व्रत कथा
Papankusha Ekadashi Vrat Katha: व्रत करने से व्यक्ति समस्त पापों से हो जाता है मुक्त, पढ़ें यह व्रत कथा

Papankusha Ekadashi Vrat Katha: आज पापांकुशा एकादशी है। पूजा करते समय व्रत कथा पढ़नी चाहिए। आइए पढ़ते हैं पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा। एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा, हे भगवान! आश्विन शुक्ल एकादशी का क्या नाम है? इसकी कृपा और फल बताएं। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा हे युधिष्ठिर! इस एकादशी का नाम पापांकुशा एकादशी है। यह पापों का नाश करती है। इस दिन मनुष्य को विधिपूर्वक भगवान पद्‍मनाभ की पूजा करनी चाहिए। इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

बहुत दिनों तक की जाने वाली तपस्या का फल भगवान गरुड़ध्वज को नमस्कार करने से व्यक्ति को प्राप्त हो जाता है। अज्ञानवश पाप करने वाला व्यक्ति अगर हरि को नमस्कार करता है तो वह नरक में नहीं जाता है। सभी तीर्थों का पुण्य व्यक्ति को विष्णु के नाम के कीर्तन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति को यम यातना भोगनी नहीं पड़ती है और वह विष्णु जी की शरण में जाता है। जो लोग वैष्णव होकर शिव की और शैव होकर विष्णु की निंदा करते हैं उन्हें नरक प्राप्त होता है। एकादशी व्रत के फल का सोलहवें हिस्सा भी सहस्रों वाजपेय और अश्वमेध यज्ञों का नहीं है। मान्यता है कि संसार में एकादशी के बराबर कोई पुण्य नहीं है। इसके बराबर पवित्र तीनों लोकों में कुछ भी नहीं। व्यक्ति के देह में तब तक पापा का वास होता है जब तक मनुष्य पद्‍मनाभ की एकादशी का व्रत नहीं करते हैं।

हे राजेन्द्र! यह एकादशी स्वर्ग, मोक्ष, आरोग्यता, सुंदर स्त्री तथा अन्न और धन की देने वाली है। गंगा, गया, काशी, कुरुक्षेत्र और पुष्कर एकादशी के व्रत के बराबर पुण्यवान नहीं हैं। हे युधिष्ठिर! इस व्रत को करने से व्यक्ति की दस पीढ़ी मातृ पक्ष, दस पीढ़ी पितृ पक्ष, दस पीढ़ी स्त्री पक्ष तथा दस पीढ़ी मित्र पक्ष का उद्धार हो जाता है। ये सभी दिव्य देह धारण कर चतुर्भुज रूप में पीतांबर पहने और हाथ में माला लिए गरुड़ पर सवार विष्णुलोक को जाते हैं। हे नृपोत्तम! अगर कोई व्यक्ति बाल्यावस्था, युवावस्था और वृद्धावस्था में पापांकुशा एकादशी का व्रत करता है तो मनुष्य के पाप खत्म हो जाते हैं और मनुष्य दुर्गति को प्राप्त न होकर सद्‍गति को प्राप्त होता है। जो व्यक्ति पापांकुशा एकादशी का व्रत करता है वो विष्णु लोक को प्राप्त होता है। इस दिन सोना, तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, छतरी तथा जूती दान करने से मनुष्य यमराज को नहीं देखता।

व्यक्ति को अपने सामर्थ्यनुसार दान करना चाहिए। निर्धन मनुष्यों को अपनी शक्ति के अनुसार दान करना चाहिए। वहीं, धनवान लोगों को सरोवर, बाग, मकान आदि बनवाकर दान करना भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, हे राजन! जो आपने पूछा वह सभी मैंने आपको बताया। अब और क्या आपकी सुनने की इच्छा है वो बताएं।

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