Nag Panchami 2021: भगवान शिव के गले में क्यों हैं नागराज वासुकी? जानिये समुद्र मंथन में उनका योगदान
Sawan 2021 Aur Nagraj Vasuki भगवान शिव के सिर पर चंद्रमा जटाओं में गंगा हाथ में त्रिशूल और डमरू देह में भभूति और गले में सांप का होना सभी को हैरान करता है। पंरतु इन सभी चीजों को धारण करने के पीछे कोई न कोई कथा प्रचलित है।
Sawan 2021 Aur Nagraj Vasuki : नाग पंचमी का पर्व सावन मास में पड़ता है। भगवान शिव को सावन और नाग दोनों बेहद प्रिय है। नागपंचमी का पर्व 13 अगस्त शुक्ल पक्ष की पंचमी को है। इस मास में शिव की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। देवों के देव महादेव का स्वरूप अन्य सभी से अलग है। भगवान शिव के सिर पर चंद्रमा, जटाओं में गंगा, हाथ में त्रिशूल और डमरू, देह में भभूति और गले में सांप का होना सभी को हैरान करता है। पंरतु इन सभी चीजों को धारण करने के पीछे कोई न कोई कथा प्रचलित हैं। आइये जानते हैं कि शिव के गले की शोभा बढ़ाने वाले नाग देवता वासुकी की क्या कथा है।
नागराज की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार वासुकी नागों के राजा माने जाते हैं। वो पाताल लोक में अपने सगे संबंधियों के साथ रहते थे। वे भगवान शिव के परम भक्त थे। हमेशा उन्हीं के पूजा पाठ में लीन रहते थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग की पूजा-अर्चना का प्रचलन भी नाग जाति के लोगों ने ही किया है। वासुकी भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। समुद्र मंथन के समय मेरू पर्वत से लिपटकर नागराज वासुकी ने रस्सी का कार्य किया । एक तरफ दावन और एक तरफ से देवता उन्हें पकड़क खींच रहे थे, जिनके सहयोग से संसार के लिए कल्याण रूपी समुद्र मंथन का कार्य संभव हो सका। हालांकि इस कार्य से नागराज वासुकी पूरी तरह से लहू-लुहान हो गए थे। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव नें उन्हें अपने गले में सुशोभित करने का वरदान दिया। तभी से नागराज वासुकी भगवान शिव के गले में विराजमान हैं। नागराज वासुकी के ही भाई शेषनाग भगवान विष्णु की शैय्या स्वरूप में विद्यमान हैं।
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