Masik Shivratri 2020: आज है मासिक शिवरात्रि, जानें- भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत विधि

Masik Shivratri 2020 इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-आराधना की जाती है। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती के निमित्त व्रत उपवास रखते हैं।

By Umanath SinghEdited By: Publish:Fri, 19 Jun 2020 06:00 AM (IST) Updated:Fri, 19 Jun 2020 06:00 AM (IST)
Masik Shivratri 2020: आज है मासिक शिवरात्रि, जानें- भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत विधि
Masik Shivratri 2020: आज है मासिक शिवरात्रि, जानें- भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत विधि

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क।Masik Shivratri 2020: हिंदी पंचांग के अनुसार, हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। जबकि माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-आराधना की जाती है। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती के निमित्त व्रत उपवास रखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को मनचाहा फल की प्राप्ति होती है। आइए, व्रत के बारे में विस्तार से जानते हैं-

मासिक शिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की तिथि 19 जून को दिन में 11 बजकर 1 मिनट पर शुरू होकर 20 जून को दिन में 11 बजकर 52 पर समाप्त होगी। आप इस समय में भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं। मासिक शिवरात्रि महत्व इस व्रत के पुण्य-प्रताप से अविवाहितों की यथाशीघ्र शादी हो जाती है। साथ ही विवाहित महिलाओं के सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन मंदिरों एवं मठों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है, जबकि कई धार्मिक स्थलों पर शिव चर्चा की जाती है।

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि

इस दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सर्वप्रथम भगवान शिव एवं माता पार्वती को स्मरण करें। अब घर की साफ़-सफाई करें और गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। तत्पश्चात, भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा दूध, दही, पंचामृत, फल, फूल, धूप, दीप, भांग, धतूरा और बिल्व पत्र से करें। इसके बाद आरती-अर्चना कर अपनी मनोकामना भगवान शिव से जरूर कहें। अपना क्षमता अनुसार, दिनभर उपवास रखें। व्रती चाहे तो दिन में एक फल और एक बार पानी पी सकते हैं। शाम में आरती-अर्चना कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें। इसके बाद जरूरतमंदों और ब्राह्मणों दान दें। इसके बाद ही भोजन ग्रहण करें। 

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