अनंत चतुर्दशी 2018: रविवार को एेसे करें अनंत स्वरूप का व्रत एवम् पूजन आैर गणपति विर्सजन

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। इस वर्ष 23 सितंबर 2018 को पड़ रहे इस पर्व पर भगवान के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। पंडित दीपक पांडे से जानें इसका महातम्य।

By Molly SethEdited By: Publish:Sat, 22 Sep 2018 11:43 AM (IST) Updated:Sat, 22 Sep 2018 12:03 PM (IST)
अनंत चतुर्दशी 2018: रविवार को एेसे करें अनंत स्वरूप का व्रत एवम् पूजन आैर गणपति विर्सजन
अनंत चतुर्दशी 2018: रविवार को एेसे करें अनंत स्वरूप का व्रत एवम् पूजन आैर गणपति विर्सजन

क्या है अनंत चतुर्दशी व्रत का अर्थ 

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चौदस को अनंत चतुर्दशी का पर्व होता है। इस साल ये त्योहार 23 सितंबर को मनाया जायेगा। इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत मानी जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप को समृपित माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, आैर मह की रचना की थी। इन लोकों का पालन और रक्षा करने के लिए वह भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे। इन्हीं रूपों के चलते उनका स्वरूप अनंत प्रतीत होने लगा। अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के इसी अनंत स्वरूप को प्रसन्न करने और अनंत फल पाने की इच्छा से व्रत रखा जाता है। धर्माचार्यों के अनुसार इस दिन व्रत रखने के साथ श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती हैं। 

एेसे करें पूजा 

इस दिन महिलाएं सौभाग्य की रक्षा एवं सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए व्रत एवं उपवास करती है। अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत एवं उपवास का संकल्प करते हुए भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु के समक्ष 14 ग्रंथी युक्त अनंत सूत्र यानी कि 14 गांठ वाला धागा रख कर श्री हरि के साथ उसकी भी पूजा करनी चाहिए। पूजन में रोली, मालि, चंदन, अगर, धूप, दीप आैर नैवेद्य का होना अनिवार्य है। इनको को समर्पित करते समय ॐ अनंताय नमः मंत्र का निरंतर जाप करें । भगवान विष्णु की प्रार्थना करके उनकी कथा का श्रवण करें। तत्पश्चात अनंत रक्षासूत्र को पुरुष बाएं हाथ और महिला बाएं हाथ में बांधें। बांधते समय अनंत देवता का ध्यान करते रहना चाहिए और अनंत-अनंत कहते रहना चाहिए। अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराये आैर यथोचित दान करें। इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें। अनंत चतुर्दशी को नमक रहित भोजन करना चाहिए।  

अनंत चतुर्दशी की कथा

महाभारत की एक कथा के अनुसार जब कौरवों ने छल से जुए में पांडवों को हरा दिया था। इसके बाद पांडवों को अपना राजपाट त्याग कर वनवास जाना पड़ा।वहां उन्होंने बहुत कष्ट उठाए। एेसे में जब एक दिन भगवान श्री कृष्ण पांडवों से मिलने वन आये तो युधिष्ठिर ने उनसे पूछा कि इस पीड़ा से निकलने का और दोबारा राजपाट प्राप्त करने का क्या उपाय है। तब श्री कृष्ण ने कहा कि आप सभी भाई पत्नी समेत भाद्र शुक्ल चतुर्दशी का व्रत रखें और अनंत भगवान की पूजा करें। इस पर युधिष्ठिर ने अनंत भगवान के बारे में जिज्ञासा प्रकट की तो कृष्ण जी ने कहा कि वह भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं। चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं। इनके आदि आैर अंत का पता नहीं है इसीलिए ये अनंत कहलाते हैं। इनके पूजन से आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे। तब युधिष्ठिर ने परिवार सहित यह व्रत किया और उन्हें पुन: हस्तिनापुर का राज-पाट प्राप्त हुआ।

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