Mata Sita Ki Aarti: माता सीता की पूजा के दौरान आरती और वंदना का करें पाठ, भक्तों को मिलता है आशीर्वाद

Mata Sita Ki Aarti आज जानकी जयंती है। जानकी माता सीता को भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जानकी जयंती मनाई जाती है। इस दौरान माता सीता की पूजा की जाती है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 06 Mar 2021 07:30 AM (IST) Updated:Sat, 06 Mar 2021 08:10 AM (IST)
Mata Sita Ki Aarti: माता सीता की पूजा के दौरान आरती और वंदना का करें पाठ, भक्तों को मिलता है आशीर्वाद
Mata Sita Ki Aarti: माता सीता की पूजा के दौरान आरती और वंदना का करें पाठ

Mata Sita Ki Aarti: आज जानकी जयंती है। जानकी, माता सीता को भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जानकी जयंती मनाई जाती है। इस दौरान माता सीता की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान माता सीता की वंदना और आरती करना बेहद आवश्यक माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति व्रत करता है उसकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन जानकी माता की पूजा करने से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु का आशीर्वाद मांगती हैं। इस दिन व्रत करने से विवाहित जीवन में आने वाली सभी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।

जानकी जयंती के दिन मंदिरों में भगवान श्री राम और माता सीता की पूजा की जाती है। मुख्य रूप से यह त्योहार गुजरात, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में मनाया जाता है। इस दिन भक्तों को पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। माता सीता राजा जनक की पुत्री थीं इसलिए उन्हें जानकी भी कहा जाता है। माता सीता की विधि-विधान के साथ पूजा करने के बाद श्रृंगार का सामान अर्पित करें। तो आइए पढ़ते हैं जानकी माता की वंदना और आरती।

श्री जानकी जी वन्दना:

उद्भवस्थितिसंहारकारिणीं क्लेशहारिणीम्।

सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोअहं रामवल्लभाम्।।

श्रीजानकी जी की आरती:

आरति श्रीजनक-दुलारी की।

सीताजी रघुबर-प्यारी की।।

जगत-जननि जगकी विस्तारिणि,

नित्य सत्य साकेत विहारिणि।

परम दयामयि दीनोद्धारिणि,

मैया भक्तन-हितकारी की।।

आरति श्रीजनक-दुलारी की।

सतीशिरोमणि पति-हित-कारिणि,

पति-सेवा-हित-वन-वन-चारिणि।

पति-हित पति-वियोग-स्वीकारिणि,

त्याग-धर्म-मूरति-धारी की।।

आरति श्रीजनक-दुलारी की।।

विमल-कीर्ति सब लोकन छाई,

नाम लेत पावन मति आई।

सुमिरत कटत कष्ट दुखदायी,

शरणागत-जन-भय-हारी की।।

आरति श्रीजनक-दुलारी की।

सीताजी रघुबर-प्यारी की।।

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