Janaki Jayanti 2024: जानकी जयंती पर जरूर करें इस व्रत कथा का पाठ, साथ ही जानें पूजा विधि

पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जानकी जयंती मनाई जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार इस तिथि पर राजा जनक को सीता जी की प्राप्ति हुई थी और उन्होंने सीता जी को अपनी कन्या के रूप में स्वीकार किया था। जानकी जयंती को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Publish:Sat, 02 Mar 2024 01:26 PM (IST) Updated:Sat, 02 Mar 2024 01:26 PM (IST)
Janaki Jayanti 2024: जानकी जयंती पर जरूर करें इस व्रत कथा का पाठ, साथ ही जानें पूजा विधि
Janaki Jayanti 2024 जानकी जयंती व्रत कथा और पूजा विधि।

HighLights

  • रामायण के मुख्य पात्रों में से एक हैं माता सीता।
  • फाल्गुन माह में मनाई जाती है सीता अष्टमी।
  • सीता अष्टमी पर जरूर करें व्रत कथा का पाठ।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sita Ashtami 2024 Date: माता सीता रामायण के मुख्य पात्रों में से एक हैं। उनका विवाह भगवान राम जी से हुआ था। जानकी जयंती या सीता अष्टमी के दिन कई महिलाएं घर-परिवार की सुख-शांति और पति की लंबी उम्र के लिए व्रत भी करती हैं। ऐसे में आइए पढ़ते हैं सीता अष्टमी की व्रत कथा।

जानकी जयंती का शुभ मुहूर्त

फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 03 मार्च 2024 को सुबह 08 बजकर 44 मिनट पर हो रहा है। वहीं, अष्टमी तिथि का समापन 04 मार्च को सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार जानकी जयंती 04 मार्च, सोमवार के दिन मनाई जाएगी।

जानकी जयंती व्रत कथा (vrat katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, जब एक बाद मिथिला के राजा जनक के राज्य में अकाल पड़ा था, तब इस समस्या से अपनी प्रजा को मुक्ति दिलाने के लिए अपने गुरु के कहने पर, एक सोने का हल बनवाया। इसका बाद उन्होंने इस हर की सहायता है भूमि जोतना प्रारंभ किया। इसी दौरान उन्हें एक मिट्‌टी के बर्तन प्राप्त हुआ जिसके अंदर एक नवजात कन्या थी।

राजा जनक की कोई संतान नहीं थी, जिस कारण राजा ने उस कन्या को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार कर लिया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जोती हुई भूमि और हल की नोक को सीत कहा जाता है, जिस कारण कन्या का नाम सीता रखा गया। वहीं, राजा जनक की पुत्री होने के कारण सीता जी को जानकी भी कहा जाता है।

पूजा विधि (Puja vidhi)

जानकी जयंती के दिन सुबह दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद चौकी पर भगवान श्रीराम और माता सीता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इस दौरान माता सीता को श्रृंगार की चीजें भी जरूर अर्पित करें।

ऐसा करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है। इसके बाद माता सीता को फल, पुष्प, धूप-दीप, दूर्वा आदि चीजें अर्पित करें। अंत में राम जी और सीता जी की आरती कर सभी लोगों में भोग को प्रसाद के रूप में बांटें।

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