गौरीकुंड पहुंची केदारनाथ की उत्सव डोली, 25 अप्रैल से होगी आरती

केदारनाथ की उत्सव डोली विभिन्न गांवों से होते हुए गौरीकुंड पहुंची। इस दौरान स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने भगवान की उत्सव डोली का भव्य स्वागत किया तथा आशीर्वाद लिया। गौरीकुंड में रात्रि विश्राम करने के पश्चात गुरुवार सुबह यह डोली केदारनाथ के लिए प्रस्थान करेगी।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 23 Apr 2015 12:50 PM (IST) Updated:Thu, 23 Apr 2015 12:58 PM (IST)
गौरीकुंड पहुंची केदारनाथ की उत्सव डोली, 25 अप्रैल से होगी आरती

देहरादून। केदारनाथ की उत्सव डोली विभिन्न गांवों से होते हुए गौरीकुंड पहुंची। इस दौरान स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने भगवान की उत्सव डोली का भव्य स्वागत किया तथा आशीर्वाद लिया। गौरीकुंड में रात्रि विश्राम करने के पश्चात गुरुवार सुबह यह डोली केदारनाथ के लिए प्रस्थान करेगी।

अपने दूसरे पड़ाव फाटा में रात्रि विश्राम करने के पश्चात भगवान केदारनाथ की उत्सव डोली ने सुबह लगभग आठ बजे गौरीकुंड के लिए प्रस्थान किया। सुबह सबसे पहले मुख्य पुजारी राजशेखर लिंग ने पूजा अर्चना की।

कुमाऊं रेजीमेंट की बैंड धुनों के साथ गौरीकुंड के लिए प्रस्थान किया। गौरीकुंड जाते समय उत्सव बड़ासू, शेरशी, रामपुर, सीतापुर, सोनप्रयाग होते गौरीकुंड पहुंची। इस दौरान विभिन्न पड़ावों पर स्थानीय लोगों व व्यापारियों ने डोली का भव्य रुप से स्वागत किया। गत दिवस फाटा में डोली आगमन पर महाराष्ट्र निकेतन की ओर से विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। भगवान की उत्सव डोली रात्रि विश्राम गौरीकुंड स्थित गौरीमाई मंदिर में करेगी। 23 अप्रैल को सुबह डोली केदारनाथ के लिए रवाना होगी। 24 अप्रैल को केदारनाथ के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। इस मौके पर डोली प्रभारी राजकुमार नौटियाल, गजानंद त्रिवेदी, कुमाऊं रेजीमेंट के हवलदार रामलाल समेत भारी संख्या में भक्त डोली के साथ चल रहे हैं।

केदारनाथ में 25 अप्रैल से शुरू होगी आरती

भोले बाबा केदारनाथ के कपाट 24 अप्रैल को सुबह आम भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे, लेकिन प्रथम दिन मंदिर में नित पूजा के साथ ही शाम की आरती भी नहीं होगी। भले ही भक्त बाबा के दर्शन कर सकते हैं। 25 अप्रैल से ही आरती की शुरूआत हो सकेगी। केदारनाथ मंदिर की पुरानी परंपराओं के अनुसार भैरवनाथ के कपाट खुलने के बाद

ही केदारनाथ मंदिर में नित पूजाएं व भोग लगाया जाता है। भैरवनाथ को शिवजी का गण माना जाता है।केदारनाथ मंदिर से आठ सौ मीटर दूरी पर पहाड़ी में भैरवनाथ का मंदिर है। मंगलवार और शनिवार को ही

भैरवनाथ के कपाट खुलने की परंपरा है। मंदिर के मुख्य पुजारी राजशेखर लिंग ने बताया कि परंपराओं के अनुसार भैरवनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद ही मंदिर में नित पूजा व भगवान को भोग लगाया जाएगा। 25 अप्रैल को भैरवनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि घोषित हुई है। इसके बाद ही मंदिर में आरती और विशेष

पूजाएं की जाएंगी।

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