Happy Anant Chaturdashi 2019: गणेश प्रतिमा के विसर्जन का भी है खास महत्व, जानें महत्वपूर्ण बातें

Happy Anant Chaturdashi 2019 Ganesh Visarjan 12 सितंबर दिन गुरुवार को अनंत चतुर्दशी है इस दिन गणपति बप्पा के प्रतिमाओं को जल में विसर्जित किया जाएगा।

By kartikey.tiwariEdited By: Publish:Wed, 04 Sep 2019 01:30 PM (IST) Updated:Wed, 11 Sep 2019 02:00 PM (IST)
Happy Anant Chaturdashi 2019: गणेश प्रतिमा के विसर्जन का भी है खास महत्व, जानें महत्वपूर्ण बातें
Happy Anant Chaturdashi 2019: गणेश प्रतिमा के विसर्जन का भी है खास महत्व, जानें महत्वपूर्ण बातें

Happy Anant Chaturdashi 2019: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेश चतुर्थी या गणेशोत्सव का प्रारंभ 02 सितंबर दिन सोमवार से हुआ था। 10 दिनों तक चलने वाला गणेशोत्सव 12 सितंबर को गणपति बप्पा को खुशी-खुशी विदा कर, उनकी प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ सम्पन्न होगा। 12 सितंबर को अनंत चतुर्दशी है, इस दिन गणपति के प्रतिमाओं को जल में विसर्जित किया जाएगा और उनसे अगले बरस दोबारा आने की कामना की जाएगी। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की भी पूजा-आराधना की जाती है, इससे व्यक्ति के सभी कष्टों का अंत हो जाता है। 

गणेशोत्सव के दौरान अलग दिनों के लिए गणेश प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। कुछ लोग गणेश प्रतिमा डेढ़ दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन, 9 दिन और 11 दिन के लिए स्थापित करते हैं। उसके बाद विधि विधान से बप्पा का विर्सजन कर देते हैं।

गणपती बाप्पा मोरया पुढच्या वर्षी लवकर या/Ganpati Bappa Morya Pudhchya Varshi Lavkar Ya

प्रथम पूज्य भगवान गणेश को व्रकतुंड, विघ्नहर्ता, मंगलमूर्ति आदि जैसे कई नामों से पुकारा जाता है। गणपति बप्पा को बप्पा को विदा करने से पूर्व उनसे आग्रह किया जाता है कि आप अगले वर्ष भी हमारे यहां आना। महाराष्ट्र में गणपति को विसर्जन के समय गणपती बाप्पा मोरया पुढच्या वर्षी लवकर या कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि गणेश जी को अगले वर्ष आने का आग्रह करने से वे प्रसन्न होते हैं, भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उनके जीवन की सभी विघ्न-बाधाओं को दूर करते हैं।

विसर्जन का अर्थ/Meaning of Visarjan

गणेशोत्सव में गणेश प्रतिमा के विसर्जन का विशेष महत्व होता है। इसमें भी एक संदेश छिपा होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी-देवताओं की मूर्तियों को जल में विसर्जित करने से उनका अंश मूर्ति से निकलकर अपने लोक पहुंच जाता है यानी परम ब्रह्म में लीन हो जाता है।

मिट्टी की बनी गणेश प्रतिमाओं को जल में विसर्जित करने का एक अर्थ और है, जो जीवन के सार से जुड़ा है। जीवन नश्वर है, जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु निश्चित है। प्रकृति रूपी ब्रह्म से जीवन मिला है और एक दिन उसे परम ब्रह्म रूपी प्रकृति में ही मिल जाना है। मिट्टी प्रकृति की देन है, उससे बने गणेश जल में विसर्जित होकर फिर प्रकृति में मिल जाते हैं यानी जो प्रकृति से लिया है, उसे एक दिन वापस करना है।

Anant Chaturdashi 2019 Date: अनंत चतुर्दशी के दिन विदा होंगे गणपति बप्पा, धूमधाम से होगा विसर्जन

गणेश विसर्जन से जुड़ी मुख्य बातें/Main points about Ganesh Visarjan

1. गणपित को खुशी खुशी विदा करना चाहिए।

2. इस समय काले रंग के वस्त्र न पहनें।

3. मांस-मदिरा का सेवन वर्जित है।

4. किसी से गलत व्यवहार न करें।

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