Chaiti Chhath 2020: नहाय-खाय से शुरू हुआ आस्था का महापर्व चैती छठ, जानें मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

Chaiti Chhath 2020 हिंदी पंचांग अनुसार चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को चैती छठ मनाई जाती है। इस साल 28 मार्च से 31मार्च के बीच चैती छठ मनाया जा रहा है।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Sat, 28 Mar 2020 10:32 AM (IST) Updated:Sun, 29 Mar 2020 06:52 AM (IST)
Chaiti Chhath 2020: नहाय-खाय से शुरू हुआ आस्था का महापर्व चैती छठ, जानें मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व
Chaiti Chhath 2020: नहाय-खाय से शुरू हुआ आस्था का महापर्व चैती छठ, जानें मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

Chaiti Chhath 2020: हिंदी पंचांग अनुसार, चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को चैती छठ मनाई जाती है। इस साल 28 मार्च से 31मार्च के बीच चैती छठ मनाया जा रहा है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत आज नहाय-खाय से हो चुकी है। इसके अगले दिन पंचमी को खरना है, जबकि षष्ठी को भगवान भास्कर को संध्या अर्घ्य एवं सप्तमी के प्रातः काल को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा। यह पर्व बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पूर्वांचल सहित नेपाल में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

नहाय-खाय का महत्व

साल में दो बार छठ पूजा मनाई जाती है। पहली छठ पूजा चैत्र में और दूसरी छठ पूजा कार्तिक महीने में मनाई जाती है। चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय खाय होता है। इस दिन से ही छठ पूजा की शुरुआत होती है। वैसे तो इस व्रत को महिलाएं अधिक करती हैं, लेकिन जिनकी मन्नत पूरी होती है उनके घर में पुरुष भी छठ पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि छठी मैया, सूर्य देव की बहन हैं, इसलिए जो व्यक्ति छठ पूजा में सूर्य देव की आराधना करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं छठी मैया पूर्ण करती हैं। साथ में घर में धन-धान्य का आगमन होता है और सभी स्वस्थ रहते हैं।

पूजा मुहूर्त

नहाय खाय का शुभ मुहूर्त दिन भर है। अतः आप किसी समय पूजा आराधना कर सकते हैं। खासकर दिन के पहले पहर में सूर्य देव की पूजा करना विशेष फलदायी है।

पूजा विधि

इस दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ़ सफाई करें। इसके बाद सुविधा अनुसार तालाब अथवा सरोवरों में स्नान करना चाहिए। लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में लॉक डाउन है। ऐसे में घर पर ही स्नान कर सर्वप्रथम छठ व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य देकर व्रत प्रारंभ करें। इसके बाद पूजा गृह में छठी मैया को साक्षी मानकर विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करें। जब पूजा सम्पन्न हो जाए तो घर की सुख शांति और समृद्धि के लिए भगवान भास्कर से प्रार्थना जरूर करें। नहाय खाय के दिन लौकी की सब्जी, अरवा चावल और चने की दाल खाने में जरूर खाना चाहिए। व्रती के खाने के बाद घर के बाकी सदस्य खाते हैं। इसके अगले दिन खरना मनाया जाएगा।

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