Bahula Chaturthi Vrat Katha 2019: बहुला चतुर्थी व्रत करने वाले जरूर पढ़ें श्रीकृष्ण और बहुला की कथा

Bahula Chaturthi Vrat Katha 2019 भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी बहुला चतुर्थी कहलाती है। इस दिन बहुला चतुर्थी व्रत कथा सुनना आवश्यक माना जाता है।

By kartikey.tiwariEdited By: Publish:Mon, 19 Aug 2019 01:08 PM (IST) Updated:Mon, 19 Aug 2019 01:08 PM (IST)
Bahula Chaturthi Vrat Katha 2019: बहुला चतुर्थी व्रत करने वाले जरूर पढ़ें श्रीकृष्ण और बहुला की कथा
Bahula Chaturthi Vrat Katha 2019: बहुला चतुर्थी व्रत करने वाले जरूर पढ़ें श्रीकृष्ण और बहुला की कथा

Bahula Chaturthi Vrat Katha 2019: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी बहुला चतुर्थी या बहुला चौथ कहलाती है, जो आज मनाई जा रही है। इसे गौ पूजा और सत्य वचन की मर्यादा के पर्व के तौर पर मनाया जाता है। जो लोग बहुला चतुर्थी व्रत रखते हैं, उनको बहुला चतुर्थी व्रत कथा सुनना आवश्यक माना जाता है।

बहुला चतुर्थी व्रत कथा

पूजन के बाद इस व्रत की कथा सुनने का विधान है। जो इस प्रकार है-

द्वापर युग में भगवान् श्रीहरि ने श्रीकृष्ण रूप में अवतार लेकर व्रज में अनेक बाल लीलाएं की, तो अनेक देवता भी अपने-अपने अंशों से गोप-ग्वाल बनकर उनके साथ हो लिए। गौ शिरोमणि कामधेनु भी अपने अंश से उत्पन्न होकर बहुला नाम से नन्दबाबा की गोशाला में गाय बनकर उसकी शोभा बढ़ाने लगी। श्रीकृष्ण का उससे और उसका श्रीकृष्ण से सहज स्नेह था। बाल कृष्ण को देखते ही बहुला के स्तनों से दुग्धधारा फूट पड़ती और श्रीकृष्ण भी उसके मातृभाव को देख उसके अमृत सदृश दूध का पान करते।

एक बार बहुला वन में घास चर रही थी। श्रीकृष्ण को एक लीला सूझी, उन्होंने माया से सिंह का रूप धारण कर लिया, भयभीत बहुला थर-थर कांपने लगी। उसने दीनवाणी में सिंह से कहा- हे वनराज! मैंने अभी अपने बछड़े को दूध नहीं पिलाया है, वह मेरी प्रतीक्षा कर रहा होगा। अत: मुझे जाने दो, मैं दूध पिलाकर तूम्हारे पास आ जाऊंगी, तब मुझे खा लेना।

सिंह ने कहा- मृत्यु के भंवर में फंसे जीव को छोड़ देने पर उसके पुन: वापस लौटकर आने का क्या विश्वास! निरुपाय हो बहुला ने जब सत्य और धर्म की शपथ ली, तब सिंह ने उसे छोड़ दिया। बहुला ने गोशाला में जाकर प्रतीक्षारत बछड़े को दूध पिलाया और अपने सत्य धर्म की रक्षा के लिए सिंह के पास वापस लौट आयी।

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उसे देखकर सिंह बने श्रीकृष्ण प्रकट हो गए और बोले- बहुले! यह तेरी परीक्षा थी, तू अपने सत्य धर्म पर दृढ़ रही, अत: इसके प्रभाव से घर-घर तेरा पूजन होगा और तू गोमाता के नाम से पुकारी जाएगी। बहुला अपने घर लौट आयी और अपने वत्स के साथ आनन्द से रहने लगी।

— ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र

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