Attukal Pongala 2019: दक्षिण का अनोखा पर्व जिसे मनाती हैं केवल महिलायें

आज 20 फ़रवरी 2019 बुधवार को दक्षिण भारत का प्रसिद्घ पर्व अट्टुकल पोंगल मनाया जायेगा। इस पर्व को मुख्य रूप से महिलायें ही मनाती हैं।

By Molly SethEdited By: Publish:Tue, 19 Feb 2019 04:29 PM (IST) Updated:Wed, 20 Feb 2019 09:15 AM (IST)
Attukal Pongala 2019: दक्षिण का अनोखा पर्व जिसे मनाती हैं केवल महिलायें
Attukal Pongala 2019: दक्षिण का अनोखा पर्व जिसे मनाती हैं केवल महिलायें

महिलाआें का उत्सव

तिरुवनंतपुरम से 2 किलोमीटर दूर देवी के एक प्राचीन मंदिर में मनाया जाने वाला दक्षिण भारतीय पर्व अट्टुकल पोंगल विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध उत्सव है। 10 दिनों तक चलने वाले इस पोंगल उत्सव की शुरुआत मलयालम माह मकरम-कुंभम जो अंग्रेजी कैलेंडर के फ़रवरी आैर मार्च महीने में पड़ता है, के भरानी दिवस यानि कार्तिक चंद्र को होती है। इस दिन अत्तुकल देवी की पूजा की जाती है। इस उत्सव की अंतिम रात को कुरुथिथार्पनाम कहते हैं और इस दिन बलि के साथ उत्सव को पूर्ण करते है। इस त्योहार को महिलाओं की सबसे बड़ी वार्षिक सभा के रूप में भी जाना जाता है।

 

बनता है पोंगल

ये त्यौहार थोत्ताम्पट्टू यानि देवी के बारे में एक गीत से शुरू होता है। इस त्योहार का नवां दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में सभी जातियों की महिलाओं के द्वारा मंदिर के आसपास के क्षेत्र में पोंगल नाम का प्रसाद बनाया जाता है। पोंगल एक मिट्टी के बर्तन में बनाया जाने वाला एक मीठा चावल है जो , गुड़, नारियल और केले की निश्चित मात्रा मिलाकर उबाल कर तैयार किया जाता है। एेसी मान्यता है कि इस दिन पूजे जाने वाले अत्तुकल देवी के स्वरूप का ये पसंदीदा पकवान है। अत्तुकल पोंगल उत्सव मुख्य रूप से केरल राज्य में मनाया जाता है।

एेसे होती है पूजा

अट्टुकल पोंगल मुख्य रूप से एक प्राचीन भगवती मंदिर, मुदिप्पुरा में तिरूवनंतपुरम जिले के कलादी नाम के स्थान पर मनाया जाता है । इस दिन धार्मिक कार्य प्रात:काल ही शुरू हो जाते हैं और दोपहर तक प्रसाद आैर चढ़ावा तैयार करा जाता है। इस दौरान मंदिर में पुरूषों का प्रवेश वर्जित रहता है। पूजा के लिए मंदिर का मुख्य पुजारी देवी की तलवार हाथों में लेकर पूरे प्रांगण में घूमता है और भक्तों पर पवित्र जल और पुष्प फेंकता जाता है।

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