Annkoot Festival 2020: आज के दिन श्रीकृष्ण को लगाया जाता है छप्पन भोग, इस तरह की जाती है पूजा

Annkoot Festival 2020 दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। इसी को गोवर्धन पूजा भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के लिए नए अनाज का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन लोग कृष्ण जी को छप्पन भोग लगाया जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 15 Nov 2020 09:38 AM (IST) Updated:Sun, 15 Nov 2020 01:51 PM (IST)
Annkoot Festival 2020: आज के दिन श्रीकृष्ण को लगाया जाता है छप्पन भोग, इस तरह की जाती है पूजा
Annkoot Festival 2020: आज के दिन श्रीकृष्ण को लगाया जाता है छप्पन भोग, इस तरह की जाती है पूजा

Annkoot Festival 2020: दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। इसी को गोवर्धन पूजा भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के लिए नए अनाज का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन लोग कृष्ण जी को छप्पन भोग लगाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि अगर व्यक्ति अन्नकूट महोत्सव मनाता है तो उसे लंबी आयु तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन नए अनाज की शुरुआत की जाती है और इसका भोग कृष्ण जी को लगाया जाता है। सिर्फ यही नहीं, इस दिन गाय-बैल आदि पशुओं की भी पूजा की जाती है। इन्हें स्नान करा कर धूप-चंदन तथा फूल माला पहनाई जाती है। साथ ही गाय को मिठाई खिलाई जाती है। साथ ही लोग घर में गोबर से गोवर्धन पर्वत भी मनाते हैं और फिर श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाया जाता है। आइए जानते हैं गोवर्धन पूजा का मुहूर्त।

अन्नकूट महोत्सव का शुभ मुहूर्त:

गोवर्धन पूजा अमावस्या को की जाती है। इस वर्ष गोवर्धन पूजान 15 नवंबर को की जाएगी। इस दिन भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर भगवान इंद्र को हराया था। हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। गोवर्धन पूजा का सायंकाल मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 18 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 27 मिनट तक है।

इस तरह करें पूजा:

इस दिन सुबह सवेरे उठ जाएं। फिर शरीर पर तेल की मालिश कर नहाएं। इसके बाद घर के आंगन पर गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं। इसके बीच में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रख दें। आप गोबर से श्री कृष्ण को भी बना सकते हैं। फिर गोवर्धन पर्वत और श्री कृष्ण की पूजा करें। इन्हें मिठाईयों का भोग लगाएं। गोवर्धन पर्वत और श्री कृष्ण के साथ-साथ देवराज इंद्र, वरुण, अग्नि और राजा बलि की भी आराधना करें। पूजा करने के बाद कथा सुनें और ब्राह्मण को भोजन कराकर उन्हें दान-दक्षिणा दें।  
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