Vidya Dham Temple: इंदौर में है भगवान गणेश का ऐसा मंदिर, जहां पांच पत्नियों के साथ विराजे हैं गणपति

Vidya Dham Temple मध्यप्रदेश के इंदौर जिला में भगवान गणेश का एक ऐसी मंदिर स्थित है जहां पर गणपति बप्पा अपने परिवार संग विराजित है। इस मंदिर में गणपति अपनी 5 पत्नियों 2 पुत्र और 2 पोतों के साथ विराजित है।

By Shivani SinghEdited By: Publish:Sat, 27 Aug 2022 07:35 AM (IST) Updated:Sat, 27 Aug 2022 07:35 AM (IST)
Vidya Dham Temple: इंदौर में है भगवान गणेश का ऐसा मंदिर, जहां पांच पत्नियों के साथ विराजे हैं गणपति
Vidya Dham Temple: इंदौर में है भगवान गणेश का ऐसा मंदिर, जहां पांच पत्नियों के साथ विराजे हैं गणपति

नई दिल्ली, Vidya Dham Temple Indore: भारत में भगवान गणेश के अनेको मंदिर स्थित है। हर एक मंदिर अपने चमत्कारों के कारण देश दुनिया में प्रसिद्ध है। प्रथम पूज्य गणपति का एक ऐसा भी मंदिर है जहां पर वह अपनी पांच पत्नियों के साथ-साथ दोनों पुत्र और पोतों के विराजित है। माना जा रहा है कि यह गणपति का एकलौता मंदिर है जहां पर वह अपने पूरे परिवार संग मौजूद है। जानिए इस मंदिर के बारे में खास बातें।

परिवार संग विराजे हैं गणपति बप्पा

इंदौर शहर के पश्चिम क्षेत्र के विद्याधाम में गणेश मंदिर का सुप्रसिद्ध स्थित है। इस मंदिर में भगवान गणेश अपनी पांच पत्नियां (ऋद्धि ,सिद्धि,तुष्टि,पुष्टि,श्री), 2 पुत्र(लाभ,शुभ) और 2 पोते (आमोद,प्रमोद)  के साथ विराजमान है।

कब हुआ था निर्माण

माना जाता है कि साल 1995 में विद्याधाम जब बना था तब इस जगह पर स्थित 14 मंदिर में एक भगवान गणेश के मंदिर का निर्माण किया गया था। इस स्थान की स्थापना स्व. महामंडलेश्वर गिरजानंद सरस्वती ने करवाई थी।

गणेश उत्सव में होता है खास

गणेश उत्सव के दौरान इस मंदिर में रोजाना कोई न कोई अनुष्ठान होता है। इसमें 108 गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ के अतिरिक्त 1100 लड्डूओं का भोग लगाने सबसे खास माना जाता है।  

क्यों है ये विद्या धाम मंदिर

विद्याधाम मंदिर के पं. दिनेश शर्मा कहते हैं कि भगवान गणेश की पांच पत्नियां रिद्धि-सिद्धि, तुष्टि, पुष्टि और श्री है। अधिकांश मंदिरों में सिर्फ रिद्धि-सिद्धि संग ही वक्रतुंड के दर्शन होते हैं। भक्तों को भी उनकी तीन अन्य पत्नियों की जानकारी कम है। इनका उल्लेख शास्त्रों में मिलता है। इसके अतिरिक्त दो पुत्र लाभ-शुभ और पोते अमोद, प्रमोद भी यहां विराजमान है। यह स्थान मुख्यतः: श्री विद्या राजराजेश्वरी मां पराम्बा ललिता महात्रिपुरसुंदरी को समर्पित है।यहां देवी महात्रिपुरसुंदरी की आठ फीट ऊंची मूर्ति है। इस मूर्ति में देवी शेर पर नहीं बल्कि महादेव की नाभि में से निकले कमल पर विराजित हैं।

हर प्रहर में लगता है भोग

यहां पर स्थित सभी मंदिरों में सूर्योदय से रात में विश्राम आरती तक हर पहर भोग लगाया जाता है। यहां दिन में दो बार शृंगार होता है। दक्षिण भारतीय शैली में बने इस मंदिर में शिव परिवार और गणेश परिवार के दर्शन होते हैं।

विद्याधाम पर स्थित है ये मंदिर

भगवान परशुराम, हनुमान, शालिग्राम, नवग्रह, शीतला माता और भैरव जी के मंदिर भी है। वर्षभर मंदिर में आयोजन होते हैं।

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