Sri Bhagavathi Temple: इस मंदिर में पूजा के लिए पुरुष बन जाते हैं औरत, करते हैं 16 शृंगार

कोट्टनकुलंगरा श्री देवी मंदिर भगवती मंदिर केरल का एक बहुत लोकप्रिय मंदिर है। मान्यताओं के अनुसार यहां पुरुष महिलाओं की तरह साड़ी पहनकर और 16 शृंगार करने के बाद मंदिर की पूजा करते हैं। इस मंदिर की और भी कई खासियत है जो किसी भी व्यक्ति को चकित करने के लिए काफी हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ साख जानकारी।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Publish:Tue, 02 Apr 2024 03:24 PM (IST) Updated:Tue, 02 Apr 2024 03:24 PM (IST)
Sri Bhagavathi Temple: इस मंदिर में पूजा के लिए पुरुष बन जाते हैं औरत, करते हैं 16 शृंगार
Kottankulangara Sree Bhagavathi Temple इस मंदिर में पूजा के लिए पुरुष बन जाते हैं औरत

HighLights

  • अपनी मान्यताओं को लेकर प्रसिद्ध हैं भारत के कई मंदिर।
  • कई मायनों में खास है कोल्लम का श्री भगवती मंदिर।
  • दर्शन के लिए पुरुष धारण करते हैं स्त्री का वेश।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chamayavilakku Festival: भारत के कई मंदिरों में अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं। कई मान्यताएं ऐसी भी हैं, जो व्यक्ति को हैरत में डाल सकती हैं। इस तरह की एक मान्यता केरल के कोल्लम में स्थित कोट्टनकुलंगरा श्री देवी मंदिर में भी प्रचलित है। इसके अनुसार, मंदिर में पूजा करने के लिए पुरुषों को स्त्री का वेश धारण करना पड़ता है। भले ही सुनने में ये मान्यताएं अजीब लगती हैं, लेकिन लोगों में इसके प्रति अटूट विश्वास है।  

इस तरह मनाया जाता है पर्व

मलयालम महीने मीनम, जो अधिकतर मार्च के मध्य से शुरू होकर अप्रैल के मध्य तक चलता है, में पुरुष महिलाओं का वेश धारण करके श्री भगवती मंदिर में उसके वार्षिक उत्सव में शामिल होते हैं। इस उत्सव को चाम्याविलक्कू के नाम से जाना जाता है। परंपरा के अनुसार, दो दिवसीय इस उत्सव के में पुरुष एक जुलूस में एकत्रित होने के लिए यहां आते हैं। इस दौरान पीठासीन देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए के लिए पांच बत्तियों वाला दीपक जलाया जाता है।

पौराणिक कथा

मान्यताओं के अनुसार, कोट्टनकुलंगरा श्री देवी मंदिर विराजमान प्रतिमा स्वयंभू है। एक प्रचलित लोककथा के अनुसार, लड़कों के एक समूह को जंगल में खेलते वक्त एक नारियल मिला था। जब उन्होंने इसे तोड़ने की कोशिश की तो इसमें से खून बहने लगा। तब उन लड़को ने इस घटना के बारे में अन्य लोगों को बताया। तब इस नारियल को देवी माना गया और इसे मंदिर में स्थापित किया गया।

अन्य मान्यता के अनुसार, कुछ चरवाहों ने महिलाओं के कपड़े पहनकर पत्थर पर फूल चढ़ाए थे, जिसके बाद उस पत्थर से दिव्य शक्ति निकलने लगी। चरवाहों की ऐसी पूजा को देखकर इस स्थान पर मंदिर बनवाया गया और धीरे-धीरे इस मंदिर की लोकप्रियता बढ़ती गई।

ये है मान्यता

साथ ही यह भी माना जाता है कि इस मंदिर में दो देवी विराजमान है, उनकी पूजा का अधिकार केवल महिलाओं को ही है। ऐसे में पुरुष इस मंदिर में अपने सामान्य रूप में अंदर नहीं जा सकते हैं। इसलिए वह स्त्री का रूप धारण कर मंदिर में पूजा करते हैं। साथ ही यह भी माना जाता है कि जो भी पुरुष, महिलाओं के वेश धारण करके इस मंदिर में पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

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ये है खासियत

पुरुष भक्तों को महिलाओं में बदलने में मदद करने के लिए मंदिर परिसर में ही एक कमरा बनाया गया है। जहां स्त्रियों की वेशभूषा से लेकर नकली बाल एवं गहने तक मौजूद हैं। कई पुरुष अपनी मनोकामना पूरी होने पर देवी को श्रृंगार का सामान भी अर्पित करते हैं। साथ ही इसकी विशेषता यह भी है कि किसी भी धर्म या जाति का व्यक्ति यहां आ सकता है। इस उत्सव में भाग लेने के लिए किन्नर भी पहुंचते हैं।

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