बाबा बांगा पीर पूरी करें मुराद

हरियाणावासियों की पीर-फकीरों के प्रति शुरू से ही अगाध आस्था रही है। हरियाणाभर में स्थित पीर-फकीरों की मजार एवं दरगाह हरियाणा के निवासियों की उनके प्रति अगाध आस्था एवं अटूट विश्वास को परिलक्षित करती है।

By Edited By: Publish:Mon, 23 Apr 2012 12:26 PM (IST) Updated:Mon, 23 Apr 2012 12:26 PM (IST)
बाबा बांगा पीर पूरी करें मुराद

हरियाणावासियों की पीर-फकीरों के प्रति शुरू से ही अगाध आस्था रही है। हरियाणाभर में स्थित पीर-फकीरों की मजार एवं दरगाह हरियाणा के निवासियों की उनके प्रति अगाध आस्था एवं अटूट विश्वास को परिलक्षित करती है।

हिसार के गांव ढंढूर (बीड़) के पास हाइवे नं. 10 पर आर.डी.एस. बीज फार्म में स्थित बाबा बांगा पीर की दरगाह भी श्रद्धालुओं के अटूट विश्वास का केंद्र है। श्रद्धालुओं का मानना है कि बाबा बांगा पीर उनकी हर मुराद पूरी करते हैं। यही कारण है कि यहां आने वाला व्यक्ति खाली झोली नहीं जाता है। इस धार्मिक स्थल के प्रति सभी धर्मो के लोगों की आस्था है। यहां पर ढंढूर के अलावा आसपास के गांवों बीड़ बबरान, झिड़ी, दुर्जनपुर व ठसका के निवासी भी शीश झुकाने आते हैं। अब तो इसकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक है।

बाबा बांगा पीर अपनी बहन व भांजे के साथ यहां आए थे और कुछ समय बाद उन्होंने यहीं पर समाधि ले ली थी। तब यहां घना जंगल था। अत: श्रद्धालुओं को जंगल में बने भीड़े रास्तों से यहां आना पड़ता था। अब यहां पर खुला मार्ग बना है। श्रद्धालु यहां हर वीरवार को विशेष रूप से शीश झुकाने आते हैं।

चारदीवारी के अंदर बाबा बांगा पीर के अलावा दो मजार और बनी हैं जिनमें से एक बाबा बांगा पीर की बहन व दूसरी उनके भांजे की है। जाल के पेड़ के नीचे बाबा बांगा पीर की मजार है। चारदीवारी से बाहर एक मजार बांगा पीर के सेवक की बनाई गई है। श्रद्धालु बाबा बांगा पीर की समाधि पर दूध व जल चढ़ाते हैं व फेरियां लगाते हैं। खाज-खुजली के रोगी यहां पर नमक व झाड़ू चढ़ाते हैं। दशकों पहले बाबा शांतिदास यहां कुटिया में रहते थे और सेवा करते थे। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद बाबा चेतनदास ने कुटिया की जगह एक कमरे का निर्माण करवाया और अपना धूणा रमाया। उन्होंने वर्ष 2000 में एक शिवमंदिर का निर्माण करवाया व मजारों की चार दीवारी निकलवाई। वर्ष 2007 में बाबा चेतनदास ब्रह्मलीन हो गए। वर्तमान बाबा किस्मतनाथ यहां सेवा-संभाल कर रहे हैं। एक दशक से यहां हर पूर्णिमा को भंडारे का आयोजन होता है और मेला लगता है। इस दौरान यहां खेलों का आयोजन भी होता है। इन खेलों में दूर-दराज के क्षेत्रों से नामी खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने पहुंचते हैं।

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