सखी इनबॉक्स

सखी के जुलाई अंक की कवर स्टोरी 'मां कहानी सुनाओ' में बेहद सम-सामयिक मुद्दे को उठाया गया है। आज के एकल परिवारों में दादा-दादी की शिक्षाप्रद कहानियों की कमी की वजह से ही नई पीढ़ी कुंठाग्रस्त होती जा रही है। इस आलेख से प्रेरित होकर मैंने अपने मुहल्ले में एक

By Edited By: Publish:Thu, 24 Sep 2015 04:01 PM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2015 04:01 PM (IST)
सखी इनबॉक्स

सखी के जुलाई अंक की कवर स्टोरी 'मां कहानी सुनाओ' में बेहद सम-सामयिक मुद्दे को उठाया गया है। आज के एकल परिवारों में दादा-दादी की शिक्षाप्रद कहानियों की कमी की वजह से ही नई पीढी कुंठाग्रस्त होती जा रही है। इस आलेख से प्रेरित होकर मैंने अपने मुहल्ले में एक कहानी क्लब शुरू किया है। यह देखकर मुझे ख्ाुशी के साथ थोडी हैरानी भी हुई कि बच्चे कंप्यूटर और विडियो गेम्स छोडकर इस क्लब के सदस्य बन गए। अगर मैं कुछ बच्चों को भी कहानियों की धरोहर सौंप सकूं तो मुझे ख्ाुशी होगी।

तृप्ता अग्रवाल, फरीदाबाद

आकर्षक कवर से सुसज्जित सखी का सितंबर अंक देखकर दिल ख्ाुश हो गया। होम डेकोरेशन से संबंधित सभी रचनाएं लाजवाब थीं। फीचर आलेख 'हमारी हसरतों का घर में कला के विभिन्न क्षेत्रों से जुडे लोगों के घरों की आंतरिक साज-सज्जा के बारे में जानना बेहद दिलचस्प अनुभव था। कवर स्टोरी 'हुनर जिंदगी संवारने का ने मुश्किल हालात से जूझते हुए जीवन में आगे बढऩे की प्रेरणा दी।

आभा पांडे, लखनऊ

सितंबर माह में प्रकाशित सखी का होम डेकोर स्पेशल अंक अपनी जानकारीपूर्ण रचनाओं की वजह से संग्रहणीय बन पडा था। हमारा फ्लैट बहुत छोटा है। ऐसे में लेख 'जगह तो निकल ही आएगी मेरे लिए ख्ाास तौर से बहुत उपयोगी साबित हुआ। लेख 'स्टाइलिश वॉर्डरोब के माध्यम से कई नई बातें जानने को मिलीं। कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा का इंटरव्यू भी दिलचस्प था। पत्रिका के इतने अच्छे विशेषांक के लिए आप बधाई के पात्र हैं।

रीमा जैन, इंदौर

सखी के सितंबर अंक में सभी रचनाएं एक से बढ कर एक थीं। लेख 'जहां रंग खिलखिलाएं में बेडरूम की दीवारों पर रंग संयोजन के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी गई थी। लेख 'अंखियों के लिए आईशैडो पढकर आई मेकअप के बारे में कई नई बातें जानने को मिलीं। 'घरेलू नुस्ख्ो में नींबू के फायदे से जुडी बातें मेरे पूरे परिवार के लिए बहुत उपयोगी साबित हुईं।

अमृता सिंघल, चंडीगढ

मुझे अपने घर को सजा-संवारकर रखने का बहुत शौक है। ऐसे में सखी का होम डेकोर स्पेशल अंक मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ। लेख 'किचन को दें नया लुक में आउटडोर किचन बनाने का नया आइडिया बहुत पसंद आया। लेख 'घर को दें सकारात्मक ऊर्जा में दिए गए वास्तु टिप्स बहुत उपयोगी साबित हुए। आशा है कि आने वाले अंकों में भी ऐसी स्तरीय रचनाएं पढऩे को मिलेंगी।

रश्मि चौहान, अलीगढ

मैं सखी की नियमित पाठिका हूं। इसका हर अंक लाजवाब होता है। पत्रिका के सितंबर अंक की सभी रचनाएं बेहतरीन जानकारियों से भरपूर थीं। लेख 'कस्टमाइज्ड लॉबी में लॉबी को सजाने-संवारने से जुडे टिप्स पढकर मैंने भी अपने घर की लॉबी को नए सिरे से व्यवस्थित किया। लेख 'सुविधाजनक हो रेस्टरूम में दिए गए सुझाव भी बेहद उपयोगी थे। लेख 'थोडा वक्त तो दो इस रिश्ते को में बिलकुल सही कहा गया है कि दांपत्य जीवन की मधुरता बनाए रखने के लिए एक-दूसरे को समय देना बेहद जरूरी है। स्थायी स्तंभ भी बेहद रोचक थे।

स्नेहा वर्मा, पटना

सखी के सितंबर अंक की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। मेरे बेटे को पेट्स का बहुत शौक है। ऐसे में मैंने पेट्स फ्रेंडली होम से जुडी जानकारियों का बख्ाूबी इस्तेमाल किया। लेख 'मौसम न बन जाए त्वचा की मुसीबत में त्वचा की देखभाल के बारे में बहुत अच्छी जानकारियां दी गई थीं। कहानी 'पंख कतरी चिडिय़ा दिल को छू गई। 'मनी मैनेजमेंट पढऩे के बाद मैंने भी यूलिप फंड में निवेश करने का निश्चय किया है। 'मिसाल के अंतर्गत मोहिनी शर्मा के अनुभव पढऩे के बाद उनके हौसले को सलाम करने को जी चाहता है। इतनी अच्छी पत्रिका प्रकाशित करने के लिए आप बधाई के पात्र हैं।

अनुजा रावत, देहरादून

सखी के सितंबर अंक में ज्ञानवर्धक और रोचक जानकारियों का सुंदर समन्वय देखने को मिला।'करियर के अंतर्गत फेलोशिप के बारे में बहुत अच्छी जानकारियां दी गई थीं। 'मिसाल के अंतर्गत मोहिनी शर्मा की संघर्ष भरी कहानी ने मेरे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया। कहानी 'पंख कतरी चिडिय़ा पढ कर आंखें नम हो गईं। वर्टिकल गार्डन की नई थीम मन को भा गई। इतनी बेहतरीन रचनाओं के लिए सखी टीम बधाई की पात्र है।

अंजली खेर, भोपाल

सखी का सितंबर अंक सारगर्भित रचनाओं से परिपूर्ण था। मैंने हाल ही में नया मकान बनवाया है और उसे सजाने की तैयारी में ही जुटी थी। ऐसे में होम डेकोरेशन से संबंधित जानकारियों ने मेरा काम आसान कर दिया। इसके अलावा 'फिल्म ऐसे बनी के अंतर्गत 'बजरंगी भाईजान की मेकिंग के बारे में जानना बहुत अच्छा लगा। स्थायी स्तंभ भी बेहद रोचक थे।

विभा पांडे, वाराणसी

सखी जीवन के हर कदम पर मेरा साथ निभाती है। मेरी सासू मां ने ही इससे मेरा प्रथम परिचय करवाया था। उसके बाद से मैं इसकी नियमित पाठिका बन गई हूं। मेरे व्यक्तित्व को संवारने में इसका बहुत बडा योगदान है। पत्रिका के सितंबर अंक में प्रकाशित कवर स्टोरी 'हुनर जिंदगी संवारने का और 'मिसाल ने मुझे सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीना सिखाया। 'यादों का कैनवस पढऩे के बाद नाना-नानी के साथ बिताए गए दिनों की यादें ताजा हो गईं। पत्रिका के होम डेकोरेशन अंक ने हमारे नए घर को सजाने में बहुत मदद की।

पूजा मुखर्जी, झांसी

इस पत्र के माध्यम से मैं सखी को धन्यवाद देना चाहती हूं। सच कहूं तो इस पत्रिका ने मुझे जीना सिखाया। पहले मैं बेहद चिडचिडी और अनुशासनहीन थी। संयोगवश मेरे जीवन में इस पत्रिका का आगमन हुआ। सकारात्मक दृष्टिकोण से परिपूर्ण इसकी सभी रचनाओं ने मुझे जीने का सलीका सिखा दिया। स्वास्थ्य, सौंदर्य और खानपान से संबंधित रचनाओं में नवीनतम जानकारियों का समन्वय देखने को मिलता है। मेरी यही कामना है कि यह पत्रिका उत्तरोत्तर उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचे।

नेहा कुकरेजा, कानपुर

मेरी मम्मी सखी की नियमित पाठिका हैं। इसलिए अब यह मेरी भी चहेती पत्रिका बन चुकी है। इसके सितंबर अंक में हेयर एक्सटेंशन के बारे में पढकर कई नई बातें जानने को मिलीं। लेख 'मेरा कमरा रोशनी से भरा-भरा पढऩे के बाद मैंने अपने बेडरूम की लाइटिंग को नए सिरे से व्यवस्थित किया। 'फैशन जिज्ञासा से भी बहुत कुछ सीखा। पत्रिका के साथ संलग्न 'दिल्ली डिजायर की सभी रचनाएं बेहद रोचक थीं।

नंदिनी मिश्रा, दिल्ली

मेरे घर मेें जैसे ही सखी आती है, परिवार के सभी सदस्यों के बीच इसे सबसे पहले पढऩे की होड सी मच जाती है। पत्रिका का सितंबर अंक भी बेहद रोचक था। लेख 'ड्राइविंग के हैं हम सिकंदर में बिलकुल सही कहा गया है कि ड्राइविंग से स्त्रियों का आत्मविश्वास बढता है और दूसरों पर उनकी निर्भरता ख्ात्म हो जाती है। इसके अलावा लेख 'टेक्नोलॉजी बना रही है सेहतमंद में दी गई जानकारियां बहुत अच्छी थीं। गैजेट्स से केवल नुकसान ही नहीं होता, बल्कि इनकी मदद से सेहत को दुरुस्त रखा जा सकता है।

वैशाली अग्रवाल, जयपुर

सखी का सितंबर अंक मेरे लिए बेहतरीन जानकारियों का ख्ाजाना साबित हुआ। इसमें होम डेकोर से संबंधित रचनाएं तो पठनीय थीं ही, इसके अलावा लेख 'ठीक नहीं है लापरवाही में अपेंडिसाइटिस के बारे में कई उपयोगी बातें जानने को मिलीं। पहले मैं बिना सोचे-समझे ढेर सारी डिब्बाबंद चीजें ख्ारीद लेती थी, लेकिन लेख 'पैक्ड फूड कितना अच्छा, कितना बुरा पढऩे के बाद अब मैं ऐसी चीजें ख्ारीदने में बहुत सावधानी बरतती हूं। पत्रिका के इतने अच्छे अंक के लिए आप मेरी बधाई स्वीकारें।

रचना दीक्षित, भोपाल

सखी मेरी प्रिय पत्रिका है। मेरे परिवार के सभी सदस्य स्वादिष्ट खाने के शौकीन हैं। पत्रिका के सितंबर अंक में दी गई स्वादिष्ट चटनियों की रेसिपीज को मैंने भी आज्ामाया और ख्ाूब तारीफ बटोरी, लेकिन इस प्रशंसा की असली हकदार तो सखी है। 'जायका के अंतर्गत बादाम की रेसिपीज भी स्वादिष्ट थीं। लेख 'सुंदर दिखना है आपका हक में कॉस्मेटिक सर्जरी के बारे में बताई गईं बातें बेहद दिलचस्प थीं।

गीतिका सिंह, पटना

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