शाकाहार से बनाएं सेहत

शाकाहारी लोग अकसर यही सोच कर चिंतित होते हैं कि भोजन में पोषक तत्वों की कमी उनकी सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होगी, पर वास्तव में ऐसा है नहीं। संतुलित खानपान से शाकाहारी भी अपनी सेहत बना सकते हैं।

By Edited By: Publish:Mon, 01 Sep 2014 04:27 PM (IST) Updated:Mon, 01 Sep 2014 04:27 PM (IST)
शाकाहार से बनाएं सेहत

भारतीय खानपान में शुरू से ही शाकाहार को अहमियत दी जाती रही है और अब तो विज्ञान ने भी इस बात पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी है कि शाकाहार सेहत के लिए ज्यादा अच्छा होता है। इसीलिए आज पूरी दुनिया में लोग तेजी से शाकाहार की ओर बढ रहे हैं।

नुकसान नॉनवेज  के

हाल ही में कैलिफोर्निया के लोमा लिंडा  यूनिवर्सिटी में 70,000  लोगों की फूड हैबिट  पर शोध करने के बाद वहां के वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि नॉन-वेजटेरियन  लोगों की तुलना में शाकाहारी लोग ज्यादा  स्वस्थ और लंबा जीवन जीते हैं और वे नॉनवेज  से होने वाले कई नुकसानों से बचे रहते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार नॉनवेज  खाने वाले लोगों की तुलना में वेजटेरियन  लोगों में हृदय रोग, हाई ब्लडप्रेशर और डायबिटीज जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की आशंका 12  प्रतिशत कम होती है। इसीलिए शाकाहारी लोग ज्यादा  स्वस्थ होते हैं। इतना ही नहीं, ज्यादातर  नॉन वेजटेरियन  लोगों में आंतों का कैंसर, मेटाबॉलिक  सिंड्रोम  और हाइपरटेंशन  जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बना रहता है। अध्ययनों से यह तथ्य सामने आया है कि जब भी किसी पशु या पक्षी को मारा जाता है तो उस दौरान डर के कारण उसके ब्रेन से कई तरह के स्ट्रेस हॉर्मोंस  का सिक्रीशन होता है और रक्त प्रवाह के जरिये ये टॉक्सिक तत्व उसके पूरे शरीर में फैल जाते हैं, जो नॉन-वेजटेरियन लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं। हाल ही में दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट की पॉल्यूशन  मॉनिटरिंग  लैबोरेटरी द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक आजकल चिकेन  का वजन बढाने के लिए पॉल्ट्री  इंडस्ट्री में एंटीबायोटिक्स  का धडल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे चिकेन  के शरीर में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस  बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं, जो खाने के साथ नॉन-वेजटेरियन  लोगों के शरीर में पहुंच जाते हैं। नतीजतन उनका शरीर एंटीबायोटिक्स  के प्रति इम्यून  होता जा रहा है और भविष्य में उन पर ऐसी दवाओं का असर धीमी गति से होगा।

शाकाहार से जुडी भ्रांतियां

हर तरह से स्वास्थ्यप्रद होने के बावजूद लोगों के मन में शाकाहार को लेकर कई तरह की गलतफहमियां  हैं। यहां हम कुछ ऐसी ही भ्रामक धारणाओं को दूर कर रहे हैं : 

1.  प्रोटीन का पोषण नहीं मिल पाता

अकसर हम यही सोचते हैं कि वेजटेरियन  लोग प्रोटीन के पोषण से वंचित रह जाते हैं, पर यह बहुत बडी गलतफहमी है कि नॉनवेज ही प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि वनस्पतियों से प्राप्त होने वाला प्रोटीन कोलेस्ट्रॉल रहित होता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर भी पाया जाता है, जो पाचन तंत्र और हड्डियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है। इसके अलावा हर तरह की दालों, सब्जियों और फलों में भी पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। जबकि चिकेन,  रेड मीट या अंडे में मौजूद प्रोटीन में फाइबर बिलकुल नहीं होता। इनमें फैट  और कोलेस्ट्रॉल  भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए अधिक मात्रा में नॉनवेज  का सेवन दिल और किडनी के लिए नुकसानदेह साबित होता है। नॉनवेज  को हमारी आंतें सही ढंग से पचा नहीं पातीं। जबकि हरी सब्जियों में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जिसकी वजह से शाकाहारी लोगों को कब्ज की समस्या नहीं होती। फलों और सब्जियों में कई तरह के एंटी ऑक्सीडेंट  तत्व मिनरल्स  और विटमिंस  पाए जाते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं और बीमारियों से लडने में हमारी मदद करते हैं। इन्हीं तत्वों की वजह से शाकाहारी लोगों की त्वचा ज्यादा स्वस्थ और चमकदार होती है।

2 . बच्चों को चाहिए नॉनवेज

अकसर लोग ऐसा मानते हैं कि शाकाहारी भोजन में बच्चों के संतुलित विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलते। यह तथ्य आंशिक रूप से सच है कि नॉनवेज में पाया जाने वाला प्रोटीन और आयरन बच्चों के शारीरिक विकास में मददगार साबित होता है, पर इसका अर्थ यह नहीं है कि शाकाहारी बच्चे कमजोर होते हैं। अगर उन्हें पर्याप्त मात्रा में डेयरी प्रोडक्ट्स, सब्जियां और दालें खिलाई जाएं तो इससे उनका संतुलित शारीरिक विकास होता है। दरअसल अमिनो एसिड प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है, जो कि दालों और सब्जियों में भी पाया जाता है। इसी तरह हरी पत्तेदार सब्जियों, सेब, चुकंदर और खजूर जैसे फलों में भी पर्याप्त आयरन होता है।

3.  शाकाहार से नहीं मिलती ऊर्जा

प्राय: लोग ऐसा समझते हैं कि शाकाहारी लोग शारीरिक दृष्टि से कमजोर होते हैं। खास तौर पर अधिक शारीरिक श्रम करने वाले लोगों को शाकाहारी भोजन से पर्याप्त कैलरी नहीं मिल पाती। इसलिए खेलकूद, आर्मी और पुलिस जैसे फील्ड के लोगों के लिए नॉनवेज  का सेवन जरूरी है। जबकि अमेरिकन एथलीट कार्ल  लुइस, बॉक्सर माइक टायसन और ओलंपिक में भारतीय कुश्ती विजेता सुशील कुमार ने यह साबित कर दिया है कि वेजटेरियन लोग कमजोर नहीं होते।

4.  शाकाहारी चीजें हर जगह आसानी से नहीं मिलतीं

कुछ लोग ऐसा समझते हैं कि शाकाहारी चीजें हर जगह आसानी से नहीं मिलतीं। इसलिए अकसर विदेश यात्रा या जंक फूड का सेवन करने वाले लोगों को बहुत परेशानी होती है, पर वास्तव में ऐसा नहीं है। आजकल हर सुपर मार्केट, रेस्ट्रां और इंटरनेशनल फ्लाइट्स में शाकाहारी चीजें आसानी से मिल जाती हैं। इसके अलावा शाकाहारी लोगों को फ्रूट्स, सैलेड,  सीरियल्स  और मिल्क प्रोडक्ट्स तो हर जगह मिल ही जाते हैं।

5.  वेजटेरियन डाइट संतुलित नहीं होती

यह धारणा पूरी तरह गलत है। शाकाहारी भोजन में भी प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और कोशिकाओं को पोषण देने वाले आवश्यक माइक्रोन्यूिट्रएंट तत्वों का संतुलित समन्वय होता है। नॉनवेज  की तुलना में फलों, सब्जियों और दालों में माइक्रोन्यूट्रिएंट तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इसी वजह से नॉन  वेजटेरियन  लोगों को भी अपने खाने के साथ सब्जियों या सैलेड  की कम से कम दो सर्विग  लेने की सलाह दी जाती है, ताकि उन्हें संतुलित मात्रा में पोषक तत्व मिल सकें। अगर आप वेजटेरियन  हैं तो अब पूरी तरह टेंशन  फ्री होकर स्वादिष्ट शाकाहारी खाने का लुत्फ उठएं। 

जरूरी है विटमिन  बी-12

शाकाहारी भोजन निश्चित रूप से सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है, लेकिन विटमिन  बी-12 हमारे शरीर के लिए एक ऐसा आवश्यक तत्व है, जो मुख्य रूप से नॉनवेज  में पाया जाता है। इसीलिए शाकाहारी या कभी-कभी नॉनवेज खाने वालों के शरीर में विटमिन  बी-12 की कमी होने की आशंका रहती है। विटमिन  बी-12 हमारी कोशिकाओं की जीन में पाए जाने वाले डीएनए  को बनाने और उनकी मरम्मत में सहायता करता है। यह ब्रेन, स्पाइनल कॉर्ड  और न‌र्व्स की रचना में भी सहायक होता है। लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण इसी से होता है। यह शरीर के सभी हिस्सों के लिए अलग-अलग प्रोटीन बनाने का भी काम करता है। इसकी कमी की वजह से अनावश्यक थकान, डिप्रेशन,  याद्दाश्त  में कमी और हाथ-पैरों में झनझनाहट जैसी समस्याएं होती हैं। इसलिए शाकाहारी लोगों को अपने खानपान में विटमिन  बी-12 का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए : 

  -नियमित रूप से दूध, दही, पनीर, मक्खन और चीज जैसे मिल्क प्रोडक्ट्स का सेवन करें।

-वेजटेरियन फोर्टिफाइड फूड्स जैसे- सोया चंक्स,  टोफू,  सोया मिल्क, ओट्स, मल्टीग्रेन आटा या इससे बने ब्रेड-बिस्किट में भी पर्याप्त मात्रा में विटमिन बी-12 पाया जाता है।

-विटमिन बी-12 मुख्यत: मिट्टी में पाया जाता है। इसलिए जमीन के भीतर उगने वाली सब्जियों आलू, शलजम, गाजर और मूली में भी आंशिक रूप से यह तत्व मौजूद होता है।

-वे प्रोटीन पाउडर भी इसका अच्छा स्रोत है। यदि एक किलोग्राम आटे में 100  ग्राम प्रोटीन पाउडर मिला दिया जाए तो इससे व्यक्ति को विटमिन बी-12 का पर्याप्त पोषण मिल जाता है।

-हमारा शरीर स्वाभाविक रूप से बी-12 बनाने का काम करता है और इसी वजह से शाकाहारी लोगों के शरीर में इसका संतुलन बना रहता है। -आमतौर पर हमें प्रतिदिन 2.4 माइक्रोग्राम विटमिन बी-12 की जरूरत होती है। अगर कोई शाकाहारी व्यक्ति प्रतिदिन 2  ग्लास दूध, 2 कटोरी दही, 100 ग्राम पनीर के साथ मल्टीग्रेन आटे से बनी रोटियां या मल्टी ग्रेन ब्रेड, बिस्किट और ओट्स का सेवन वैकल्पिक रूप से करे तो उसे पर्याप्त मात्रा में विटमिन बी-12 मिल जाता है।

-आमतौर पर किसी सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में विटमिन बी-12 की मात्रा 400-500 पीजी ( पिकोग्राम) होनी चाहिए। अगर शरीर में इसकी मात्रा कम हो जाए तो उसकी पूर्ति दवा या इंजेक्शन से ही संभव है। दवा लेने के बाद जब इसकी मात्रा सामान्य स्तर पर पहुंच जाए तो शाकाहारी लोगों को अपने खानपान में सुधार लाकर इसका सही स्तर बरकरार रखना चाहिए।

(एशिया कोलंबिया हॉस्पिटल गुडगांव की चीफ डाइटीशियन हनी टंडन से बातचीत पर आधारित)

विनीता

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