Rajasthan Politics: वसुंधरा राजे और सचिन पायलट अपना अस्तित्व कायम रखने की जुगत में जुटे

Rajasthan Politics वसुंधरा राजे और सचिन पायलट अपना अस्तित्व कायम रखने की जुगत में जुटे समर्थकों को एकजुट करने और आम लोगों में पकड़ कायम रखने के लिहाज से करेंगे दौरा।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Fri, 04 Sep 2020 03:01 PM (IST) Updated:Fri, 04 Sep 2020 03:09 PM (IST)
Rajasthan Politics: वसुंधरा राजे और सचिन पायलट अपना अस्तित्व कायम रखने की जुगत में जुटे
Rajasthan Politics: वसुंधरा राजे और सचिन पायलट अपना अस्तित्व कायम रखने की जुगत में जुटे

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और सचिन पायलट दोनों ही नेता राजस्थान की राजनीति में खुद का अस्तित्व कायम रखने में जुटे हुए हैं। अपने समर्थकों को एकजुट करने और आम लोगों के बीच अपनी पकड़ कायम रखने के लिहाज से वसुंधरा राजे और सचिन पायलट प्रदेश का दौरा शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। वसुंधरा राजे और पायलट पहले जिला और फिर विधानसभा क्षेत्रवार दौरे करेंगे।

फिलहाल दोनों ही नेता अपनी-अपनी पार्टियों में मुख्यधारा से अलग हैं। दोनों के ही समर्थकों की लंबी-चौड़ी फौज है। वसुंधरा राजे का जहां आदिवासियों व महिलाओं में ग्लैमर है, वहीं पायलट की युवाओं व गुर्जर समाज के मतदाताओं पर मजबूत पकड़ है। लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद से वसुंधरा राजे भाजपा की मुख्यधारा से अलग है। वसुंधरा राजे और उनके समर्थकों को पार्टी में अलग-थलग करने का प्रयास पिछले पौने दो साल से चल रहा है।

वसुंधरा राजे के विरोधियों के हाथों में प्रदेश संगठन की कमान है। वे वसुंधरा राजे को कमजोर करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। वसुंधरा राजे समर्थकों को पहले जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक संगठन के पदों से हटाया गया और अब उन्हे पार्टी के फैसलों की जानकारी नहीं दी जा रही है। अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ चले ऑपरेशन लोटस के बारे में वसुंधरा राजे को जानकारी नहीं दी गई।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया व विपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने पूरा अभियान चलाया, हालांकि इसमें उन्हे सफलता नहीं मिली। वसुंधरा राजे और उनके समर्थक इस अभियान के खिलाफ थे। वसुंधरा राजे की जानकारी के बिना भाजपा की प्रदेश इकाई ने गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया, जिसे बाद में वापस ले लिया गया। इन सब कारणों के चलते वसुंधरा राजे पार्टी के प्रदेश नेतृत्व से नाराज है और वे अपनी नाराजगी भाजपा आलाकमान तक पहुंचा चुकी है।

अब वसुंधरा राजे खेमे ने तय किया है कि वे प्रदेश का दौरा करेंगी। इस दौरान अपने समर्थकों की छोटी-छोटी बैठक लेने के साथ ही आम लोगों से संवाद भी करेंगी। सोशल मीडिया पर भी वसुंधरा राजे और उनके समर्थक सक्रिय रहेंगे।

 पीछे नहीं हटना चाहते पायलट

सीएम अशोक गहलोत के साथ 35 दिन तक चले सियासी संग्राम के बाद सचिन पायलट ने चाहे एक बार अपने कदम पीछे खींच लिए हो, लेकिन वे राजनीतिक खुद को प्रदेश में सक्रिय रखने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। 7 सितंबर को जन्मदिन के बहाने पायलट समर्थक अपनी ताकत दिखाएंगे, फिर उसके बाद अगले माह से वे प्रदेश का दौरा करेंगे।

पायलट समर्थक विधायक वेदप्रकाश सोलंकी, इंद्रराज गुर्जर और मुकेश भाकर युवाओं को जोड़ने में जुटे हैं। इनका मकसद है कि अगले दो माह में प्रत्येक जिला स्तर पर युवाओं का अलग से संवाद कार्यक्रम आयोजित किया जाए, जिसमें पायलट शामिल हो। अपनी पकड़ मजबूत करने को लेकर पायलट इस कदम चिंतित है कि पिछले कुछ समय से उन्होंने सप्ताहंत में दिल्ली जाना भी बंद कर दिया है। एक माह पहले तक ऐसा कोई शनिवार और रविवार नहीं रहता था जिनमें वे दिल्ली नहीं जाते हों, लेकिन अब जयपुर में रहकर समर्थकों के संपर्क में रहते हैं। 

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