Rajasthan: ना भाजपा का एक वर्ग और ना ही पायलट समर्थक भाजपा में जाने के पक्ष में

Sachin Pilot राजस्थान भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व तक संदेश पहुंचाने में जुटे हैं कि पायलट को पार्टी में शामिल किया जाता है तो प्रदेश में खींचतान अधिक बढ़ेगी

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Wed, 15 Jul 2020 06:27 PM (IST) Updated:Wed, 15 Jul 2020 07:56 PM (IST)
Rajasthan: ना भाजपा का एक वर्ग और ना ही पायलट समर्थक भाजपा में जाने के पक्ष में
Rajasthan: ना भाजपा का एक वर्ग और ना ही पायलट समर्थक भाजपा में जाने के पक्ष में

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। Sachin Pilot: सचिन पायलट भाजपा मे शामिल होने से इन्कार कर चुके हैं, लेकिन केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया लगातार कह रहे हैं पायलट का भाजपा में आने पर स्वागत है। राजस्थान भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व तक यह संदेश पहुंचाने में जुटे हैं कि पायलट को अगर पार्टी में शामिल किया जाता है तो इससे प्रदेश में खींचतान अधिक बढ़ेगी। अभी के हालात में प्रदेश में जो सियासत चल रही है, वह चाहे कांग्रेस के लिए परेशानी पैदा कर रहा हो, लेकिन अगर पायलट भाजपा में आते हैं तो यह पार्टी के लिए भविष्य में बड़ा सिरदर्द हो सकता है। एक तरफ जहां भाजपा नेताओं का ही एक वर्ग पायलट को शामिल किए जाने की संभावनाओं का विरोध कर रहा है।

वहीं दूसरी तरफ पायलट खेमे के 20 में से आठ विधायकों ने उन्हें साफ कह दिया कि यदि वे भाजपा में जाने पर विचार करते हैं तो वे उनके साथ नहीं रहेंगे। इन विधायकों का कहना है कि भाजपा का जीवनभर विरोध किया, इस कारण अब वहां नहीं जा सकते। इन विधायकों ने कहा कि यदि पायलट भाजपा से बातचीत करते हैं तो वे अपने पुराने घर में ही रहना पसंद करेंगे। गहलोत कैंप में बैठे पायलट समर्थक चार विधायकों का मन अभी भी अपने नेता के साथ है, लेकिन उन्हें भय है कि पायलट भाजपा में जा सकते हैं। इस कारण वे अपनी राजनीतिक मजबूरी और क्षेत्रीय समीकरणों के चलते गहलोत के पास बैठें हैं। पायलट समर्थक विधायक उन्हें यह समझाने में जुटे हैं कि उनकी भाजपा विरोधी रही है, पांच साल तक प्रदेश में भाजपा सरकार के खिलाफ संघर्ष किया है, ऐसे में अब उसी पार्टी में चले गए तो उनकी छवि को नुकसान हो सकता है।

पांच दर्जन सीटों पर पायलट का प्रभाव

यह बात सही है कि अगर पायलट भाजपा में शामिल होते हैं, तो यह पार्टी के लिए काफी फायदेमंद होगा। इसका कारण है कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत में गुर्जर और मीणा जातियों का बहुत बड़ा योगदान रहा हैं। दोनों जातियों का करीब आठ-आठ फीसदी वोट बैंक हैं। दौसा, भरतपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, कोटा, करौली, अलवर, बूंदी, कोटा, टोंक, सवाईमाधोपुर व उदयपुर जिलों की 68 सीटों पर गुर्जर और मीणा जातियां निर्णायक भूमिका में रहती है। पिछले चुनाव में गुर्जर बहुल सीटों पर कांग्रेस को जबरदस्त जीत मिली थी। रमेश मीणा जैसे दबंग मीणा नेता भी अब उनके साथ हैं।

वसुंधरा समर्थक पायलट के पक्ष में नहीं

प्रदेश की दो बार सीएम रही वसुंधरा राजे और उनके समर्थक यह नहीं चाहते हैं कि सचिन पायलट भाजपा में शामिल हों। इसका कारण यह है कि तीन साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में सीएम पद की उम्मीदवारी को लेकर वसुंधरा को गजेंद्र सिंह शेखावत, सतीश पूनिया और अर्जुन मेघवाल जैसे नेताओं से जूझना पड़ेगा। लेकिन अब पायलट पार्टी में आ जाते हैं तो इस सूची में एक नाम और शामिल हो जाएगा। शेखावत और पायलट एक साथ भी हो सकते हैं। वसुंधरा खेमे के अलावा आरएसएस के लोग भी पायलट को भाजपा में शामिल करने के पक्ष में नहीं है। 

पायलट समर्थक विधायक बोले, बिना जनाधार वाले नेता कांग्रेस में फैसला करते हैं

सचिन पायलट के खास समर्थक विधायक भंवरलाल शर्मा का कहना है कि बिना जनाधार के लोग कांग्रेस में फैसले करते हैं। वरिष्ठ नेता अहमद पटेल तो कभी चेहरा भी नहीं दिखाते। रणदीप सुरजेवाला ने हरियाणा और अजय माकन ने दिल्ली में कांग्रेस का नुकसान कर दिया। राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे ने राजस्थान में कांग्रेस का नुकसान कर दिया। एक बातचीत में शर्मा ने कहा कि बिना जनाधार के नेताओं को जयपुर भेज दिया जाता है, इनके कहने से एक विधायक नहीं मानता है।

उन्होंने कहा कि मैं अशोक गहलोत को नेता नहीं मानता। विधायक दल की बैठक में नहीं जाएंगे, फ्लोर टेस्ट में जाएंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास 81 विधायक हैं। उन्होंने कहा कि गहलोत के पास बहुमत नहीं है। उन्होंने कहा कि पायलट के साथ 22 विधायक हैं, जिनमें खुद सात बार और हेमाराम चौधरी जैसे छह बार चुने गए विधायक हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत भी पायलट के साथ हैं।

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