Jaipur Literature Festival 2020: रियलिटी शो बंद होने के बाद कलाकार कहां जाता है पता भी नहीं चलताः शुभा मुद्गल

Jaipur Literature Festival 2020. शुभा मुद्गल ने कहा कि रियलिटी शो ने बेहतरीन प्रतिभाएं दी हैं लेकिन इन्हें अनुबंध में बांध दिया जाता है और वे आगे कहां जाते हैं पता नहीं चलता।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Fri, 24 Jan 2020 02:27 PM (IST) Updated:Fri, 24 Jan 2020 02:27 PM (IST)
Jaipur Literature Festival 2020: रियलिटी शो बंद होने के बाद कलाकार कहां जाता है पता भी नहीं चलताः शुभा मुद्गल
Jaipur Literature Festival 2020: रियलिटी शो बंद होने के बाद कलाकार कहां जाता है पता भी नहीं चलताः शुभा मुद्गल

जयपुर, जेएनएन। Jaipur Literature Festival 2020. प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका शुभा मुद्गल ने टीवी पर आने वाले रियलिटी शो के बारे में कहा कि इनका फार्मेट कुछ ऐसा है कि शो खत्म होने के तीन महीने बाद कलाकार कहां जाता है पता भी नहीं चलता। उसे अनुबंध में बांध दिया जाता है और वह अपने संगीत को बेहतर करने के लिए कुछ नहीं कर पाता। उन्होंने कहा कि हम संगीत को सिर्फ फिल्म संगीत के नजरिए से देखते हैं, जबकि संगीत हमारे देश के कोने-कोने में है। शुभा मुद्गल जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन शुक्रवार को अपनी किताब लुकिंग फॉर मिस सरगम पर आधारित सत्र में सुधाा सदानंद से बात कर रही थीं।

शुभा मुद्गल ने कहा कि यह सही है कि रियलिटी शो ने हमें कुछ बेहतरीन प्रतिभाएं दी हैं, लेकिन इन्हें अनुबंध में बांध दिया जाता है और वे आगे कहां जाते हैं, कुछ पता नहीं चलता। शुभा मुद्गल ने कॉपीराइट के विषय पर कहा कि यह बहुत जटिल विषय है और हमें इसके बारे में कुछ बताया ही नहीं जाता। यदि हम कहीं से कोई गीत लेकर उसे अपने तरीके से भी गा रहे हैं तो हमें कम से कम यह बताना चाहिए कि यह मूल रूप से कहां से आया है। कॉपीराइट को हमारी संगीत की तालीम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। यह आज के समय बहुत जरूरी है।

उन्होंने कहा कि यदि कोई पुरानी चीज नए रूप में आती है तो मुझे इससे कोई समस्या नहीं है। यदि यह सही नहीं होगी तो इतना ही होगा कि मैं इसे दोबरा सुनूंगी नहीं, लेकिन इस बात से कोई दिक्कत नहीं है कि पुरानी चीजें नए रूप में आएं। शुभा मुद्गल ने कहा कि संगीत में तकनीक का प्रयोग बढ़ रहा है और निजी तौर पर तकनीक को मैं पसंद भी करती हूं, लेकिन तकनीक पर बहुत ज्यादा निर्भरता सही नहीं है। कंसर्ट में हम देखते हैं कि आवाज को बहुत तेज किए जाने पर जोर रहता है। हमारी आवाजें तेज होती जा रही हैं, जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं है। अपनी किताब के बारे में उन्होंने कहा कि हमने एक थिएटर परियोजना के लिए कहानियां लिखी थी, फिर लगा इस सिलसिले को आगे बढ़ाना चाहिए। यह कहानियां मेरे जीवन की कहानियां है और काफी अहम है। 

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