कई मजबूरियों की वजह से कांग्रेस नहीं छोड़ना चाहते पायलट, लेकिन 'घर वापसी' के लगभग सभी रास्ते बंद

राजस्थान में सियासी संकट के बीच पायलट अब तक कांग्रेस नहीं छोड़ने की बात कह रहे हैं। लेकिन अब सीएम गहलोत खुद नहीं चाहते हैं कि पायलट कांग्रेस में रहें।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Sat, 18 Jul 2020 12:16 PM (IST) Updated:Sat, 18 Jul 2020 12:25 PM (IST)
कई मजबूरियों की वजह से कांग्रेस नहीं छोड़ना चाहते पायलट, लेकिन 'घर वापसी' के लगभग सभी रास्ते बंद
कई मजबूरियों की वजह से कांग्रेस नहीं छोड़ना चाहते पायलट, लेकिन 'घर वापसी' के लगभग सभी रास्ते बंद

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच समझौते के सारे रास्ते लगभग बंद हो चुके हैं। गहलोत ने पायलट और उनके समर्थकों पर व्यक्तिगत हमले कर उनके पार्टी में रहने के रास्ते बंद करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। सीएम अशोक गहलोत खुद नहीं चाहते हैं कि पायलट अब कांग्रेस में रहें। गहलोत चाहते हैं कि पायलट और उनके समर्थकों की विधानसभा की सदस्यता खत्म हो जाए, वहीं दूसरी तरफ पायलट अब तक कांग्रेस नहीं छोड़ने की बात कह रहे हैं।इस बीच सबसे ज्यादा मुश्किलें सचिन पायलट के सामने हैं। वह कांग्रेस को छोड़ना नहीं चाहते हैं लेकिन अब उनकी घर वापसी के लगभग सारे रास्ते बंद नजर आ रहे हैं। 

कई कारणों से कांग्रेस नहीं छोड़ना चाहते पायलट

पायलट के कांग्रेस नहीं छोड़ने के कई कारण है, उनमें सबसे पहला है कि अगर वे कांग्रेस छोड़ते हैं तो उनकी विधानसभा की सदस्यता चली जाएगी। पायलट खेमे के 19 में से आधे विधायक ऐसे हैं जो चुनाव नहीं लड़ना चाहते, इनमें से भी 4 विधायक ऐसे हैं जो अपना मौजूदा कार्यकाल अंतिम मानकर अगला चुनाव बेटों को लड़ाना चाहते हैं।

पायलट के कांग्रेस नहीं छोड़ने का एक कारण यह भी है कि उनके पास गहलोत सरकार को गिराने लायक विधायकों की संख्या नहीं है। ऐसे में अगर वे कांग्रेस से अलग भी होते हैं तो सरकार गिरने का संकट उत्पन्न नहीं होगा। पायलट के समर्थक कई कांग्रेस विधायक, भाजपा में नहीं जाना चाहते हैं। उनका कहना है कि स्थानीय राजनीति के लिहाज से वे हमेशा भाजपा विरोधी रहे, अब अगर वह उसी पार्टी में जाते हैं तो मुश्किल होगी।

कम वोट बैंक पर असर डालते हैं पायलट

पायलट के कांग्रेस नहीं छोड़ने का एक अन्य कारण यह भी है कि उनके कई साथी वर्तमान में अशोक गहलोत कैंप में हैं जो कांग्रेस के अंदर रहकर तो साथ देने को तैयार हैं, लेकिन पार्टी छोड़ने के पक्ष में नहीं है। पायलट ने पहले नया मोर्चा बनाने का मन बनाया था, लेकिन तीसरे मोर्च की प्रदेश में कोई संभावना नहीं देखकर उन्होंने अपना विचार ठंडे बस्ते में डाल दिया। प्रदेश में अब तक वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी व किरोड़ी लाल मीणा ने नई पार्टी बनाकर तीसरा मार्चा बनाने का प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं हुए। पायलट के पास पूरे प्रदेश में वोट बैंक नहीं है। वे गुर्जर समाज के तो नेता हैं, लेकिन इस समाज का प्रभाव मात्र 30 सीटों पर ही है। 

पायलट के एक विश्वस्त का कहना है कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में नहीं जाने का एक कारण यह भी है कि भाजपा में पहले से ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया व राज्यवर्धन सिंह जैसे कई नेता सीएम पद के दावेदार हैं। ऐसे में सचिन पायलट को भाजपा में शामिल होने का कोई खास लाभ नजर नहीं आ रहा है।

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