Ranthambore Century: यहां जगह कम और बाघों की संख्‍या ज्‍यादा, टेरेटरी की तलाश में हमेशा घूमते टाइगर

Ranthambore Century राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले में स्थित रणथंभौर सेंचूरी में टाइगर के इंसान पर हमले और आपसी संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 10 Oct 2019 11:46 AM (IST) Updated:Thu, 10 Oct 2019 11:46 AM (IST)
Ranthambore Century: यहां जगह कम और बाघों की संख्‍या ज्‍यादा, टेरेटरी की तलाश में हमेशा घूमते टाइगर
Ranthambore Century: यहां जगह कम और बाघों की संख्‍या ज्‍यादा, टेरेटरी की तलाश में हमेशा घूमते टाइगर

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले में स्थित रणथंभौर सेंचूरी में टाइगर के इंसान पर हमले और आपसी संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। रणथंभौर में टाइगर का कुनबा बढ़ने के साथ ही इनकी टेरेटरी भी कम पड़ने लगी है। रणथंभौर में वर्तमान में 70 टाइगर है, जबकि यहां 55 के रहने के लिए ही जगह है अर्थात 15 टाइगर अधिक रह रहे है।

जंगल में जगह कम होने का ही नतीजा है कि टाइगर बाहर निकल कर आबादी की तरफ पहुंच रहे है। आबादी क्षेत्र में पहुंचकर टाइगर इंसानों और पालतु जानवरों का शिकार कर रहे है। रणथंभौर में पिछले एक साल में टाइगर के हमले से 7 लोगों की मौत हुई और आधा दर्जन लोग घायल हुए है। पिछले 24 दिन में ही टाइगर के हमले में 3 लोगों की मौत हुई है।

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार टेरेटरी की तलाश में जंगल से बाहर आ रहे टाइगरों के हमले से एक साल में करीब डेढ़ दर्जन पालतु जानवरों की भी जान गई। टाइगरों के बीच आपसी संघर्ष घटनाओं में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वन विशेषज्ञों के साथ खुद वन मंत्री सुखराम विश्नोई का मानना है कि रणथंभौर में टाइगर और इंसानों में संघर्ष का सबसे बड़ा कारण जंगल कम और संख्या अधिक होना है।

वनमंत्री ने दैनिक जागरण से बातचीत में माना कि संख्या अधिक होने के कारण टेरेटरी एवं शिकार की तलाश में टाइगर जंगल से बाहर आबादी क्षेत्र में आ रहे है। रणथंभौर में वर्तमानम में 70 टाइगर है, जबकि यहां 55 के रहने का ही जंगल है। यहां टाइगर की संख्या बढ़ने के साथ-साथ जगह कम पड़ रही है। इस वजह से वर्तमान में 15 टाइगर टेरेटरी की तलाश में जंगल की सीमा के आसपास घूमते रहते है। इनमें टी-100, टी-108, टी-110, टी-97, टी-99, टी-66, टी-62, टी-69, टी-96, टी-48 और टी-32 मुख्य है ।

टाइगर के शिकार से एक साल में हुई 7 मौतें

साल, 2018 के नवंबर और दिसंबर माह में टाइगर के हमले से एक महिला मुन्नी देवी और एक किसान रामकिशन की मौत हुई। इसके बाद इस साल फरवरी माह में सेंचूरी से सटे पाड़ली गांव में टाइगर के हमले से एक और मुन्नी देवी नाम की महिला की मौत हुई। जुलाई माह में करौली जिले के दुर्गसी घाटा में टाइगर ने रूपसिंह गुर्जर का शिकार किया, फिर सितंबर माह की 12 तारीख को टाइगर ने पिंटू माली और 21 तारीख को चिरंजीलाल गुर्जर का शिकार किया। 7 अक्टूबर को अपनी मां के साथ खेत में गए 12 साल के बच्चे नीरज की टाइगर के हमले में मौत हो गई,वहीं एक किसान घायल हो गया।

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