राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू, माकपा विधायक ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा

राजस्थान की 15वीं विधानसभा का दूसरा सत्र गुरुवार से प्रारंभ हुआ। सत्र के पहले दिन दिवंगत नेताओं को क्षृद्धांजली देने के साथ ही सदन की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 27 Jun 2019 04:12 PM (IST) Updated:Thu, 27 Jun 2019 04:12 PM (IST)
राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू, माकपा विधायक ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा
राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू, माकपा विधायक ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान की 15वीं विधानसभा का दूसरा सत्र गुरुवार से प्रारंभ हुआ। सत्र के पहले दिन दिवंगत नेताओं को क्षृद्धांजली देने के साथ ही सदन की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। सत्र के पहले दिन माकपा विधायक बलवान पूनिया अपनी पोशाक (ड्रेस) को लेकर सबकी नजरों में रहे। विधायक पूनिया यहां किसान आत्महत्याओं पर सत्ता पक्ष को घेरने के लिए एक बैनर पहनकर विधानसभा पहुंचे। इस बैनर पर किसान आत्महत्याओं से जुड़े नारे लिखे हुए थे। श्रीगंगानगर के रायसिंहनगर के एक किसान ने इस सप्ताह आत्महत्या कर ली थी और विधायक इसी मामले की ओर से सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहते थे।

सदन की बैठक शुक्रवार तक स्थगित होने के बाद हुई कार्य सलाहकार समिति की बैठक में तय किया गया कि सीएम अशोक गहलोत 10 जुलाई को राज्य का बजट पेश करेंगे। सत्र हंगामेदार रहने की उम्मीद है। गहलोत सरकार के छह माह के कार्यकाल में सामने आए बड़े मुद्दों को लेकर भाजपा सरकार को घेरने की तैयारी में है। किसान आत्महत्या,अलवर के थानागाजी में दलित युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म,किसान कर्जमाफी,चिकित्सा एवं शिक्षा से जुड़े मुद्दों को लेकर भाजपा सरकार को घेरेगी। सत्र में पूछे जाने को लेकर अब तक करीब तीन हजार प्रश्न सूचीबद्ध हो चुके है।

पत्रकारों पर लगी पाबंदी, नाराज पत्रकार धरने पर बैठे

विधानसभा में पत्रकारों पर पाबंदी को लेकर हंगाम हुआ। नाराज पत्रकारों ने सदन में प्रेस गैलरी का बहिष्कार कर विधानसभा अध्यक्ष के चैंबर के बाहर धरना दिया। विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सी.पी.जोशी के निर्देश पर पत्रकारों को सिर्फ पत्रकार दीर्घा तक सीमित रखा गया है। अभी की वर्षों से चली आ रही विधानसभा परम्पराओं के अंतर्गत मीडियाकर्मी हां पक्ष और ना पक्ष लॉबी तथा नेता प्रतिपक्ष, मुख्य सचेतक और मंत्रियों से उनके कक्ष में भी मिलने जाते रहे है। लेकिन कांग्रेस सरकार के पहले बजट सत्र के दौरान मीडियाकर्मी न मंत्री से मिल सकते है और न ही नेता प्रतिपक्ष सहित विपक्ष के किसी नेता से मिल सकते है।  

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