Rajasthan BJP: 40 दिन बाद भी नहीं मिला राजस्थान भाजपा को अध्यक्ष

Rajasthan BJP. राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष मदन लाल सैनी का निधन 24 जून को हो गया था। इसके बाद से 40 दिन का समय निकल चुका है लेकिन यह पद खाली पड़ा है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Mon, 05 Aug 2019 06:08 PM (IST) Updated:Tue, 06 Aug 2019 12:54 PM (IST)
Rajasthan BJP: 40 दिन बाद भी नहीं मिला राजस्थान भाजपा को अध्यक्ष
Rajasthan BJP: 40 दिन बाद भी नहीं मिला राजस्थान भाजपा को अध्यक्ष

जयपुर, जेएनएन। राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष मदनलाल सैनी के निधन के 40 दिन बाद भी राजस्थान भाजपा को नए अध्यक्ष का इंतजार है। अक्टूबर और नवंबर में राजस्थान के नगरीय निकायों के चुनाव है, लेकिन पार्टी बिना कप्तान ही सब तैयारियां कर रही हैं।

राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष मदन लाल सैनी का निधन 24 जून को हो गया था। इसके बाद से 40 दिन का समय निकल चुका है, लेकिन यह पद खाली पड़ा है। माना जा रहा था कि सदस्यता अभियान व संगठनात्मक चुनाव के दौरान पार्टी इस पद पर किसी कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी, जिसे बाद में निर्वाचित अध्यक्ष बना दिया जाएगा लेकिन ऐसा अब तक नहीं हो पाया है।

इसके चलते पार्टी कार्यकर्ताओं को अब पिछला वर्ष याद आ रहा है, जब विधानसभा चुनाव से पहले 78 दिन तक पार्टी अध्यक्ष का पद खाली रहा था। हालांकि अब उस तरह का विवाद पार्टी के भीतर नहीं है और उस समय अध्यक्ष पद को लेकर वीटो पावर का इस्तेमाल करने वाली पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी इन दिनों पार्टी की सामान्य गतिविधियो से दूर नजर आ रही है। इसके बावजूद न अध्यक्ष है और न जल्द किसी के आने की चर्चा है।

पार्टी कार्यकर्ताओं की मानेें तो इस देरी के पीछे जातीय समीकरण को समाधान की कवायद एक बड़ा कारण है। पार्टी को अक्टूबर और नवंबर में निकाय चुनाव और अगले वर्ष जनवरी में पंचायत चुनाव लड़ना है। इन दोनों चुनाव मे जातीय समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं, क्योंकि बहुत ही स्थानीय स्तर का चुनाव होता है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी को ऐसा अध्यक्ष मिल सके, जिससे ना केवल भाजपा को मजबूती मिले बल्कि सभी जातियों को भी साधा जा सके।

इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि जातीय समीकरण के साथ ही उसकी संध निष्ठा भी देखी जा रही है, क्योंकि अन्य प्रदेशों की तरह यहां भी पार्टी अब किसी नेता के बजाए सगठन को महत्व देना चाहती है। यही कारण है कि अब तक पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए जिन भी नेताओं के नाम सामने आए, वे सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से ही आते हैं, फिर चाहे जाट समाज से सतीश पुनिया दलित समाज से मदन दिलावर या ब्राह्मण समाज से अरुण चतुर्वेदी सीपी जोशी। यह सभी नेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस पृष्ठभूमि के नेता माने जाते हैं।

पार्टी की संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया सितंबर में शुरू होगी। इन चुनाव के जरिए मंडल से लेकर जिला और प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक के चुनाव होंगे, लेकिन, पार्टी में अब तक यह परंपरा रही है कि प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव केवल कहने को होते हैं। इन पर आपसी सहमति से ही किसी भी नेता की ताजपोशी होती है। ऐसे में संगठन चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले यदि पार्टी को प्रदेश में कार्यकारी अध्यक्ष दिया गया तो वही नेता आगामी दिनों में निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया जाएगा।

इस बारे में पार्टी के सदस्यता अभियान के संयोजक और अध्यक्ष पद के दावेदार माने जाने वाले सतीश पूनिया कहते हैं कि पार्टी अपने विधान से चलती है और इसकी रचना ऐसी है कि अध्यक्ष कुछ समय के लिए न हो तो भी संगठन की गतिविधि चलती रहती है। वैेसे उम्मीद यही है कि दिसंबर से पहले अध्यक्ष की नियुक्ति हो जाएगी।

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