Nirbhaya Case: निर्भया के दोषियों मुकेश व राम सिंह का नाम नहीं लेना चाहते इस गांव के लोग

Nirbhaya Case. पत्नी की मौत के बाद रामसिंह को शराब की लत लग गई थी। इसके बाद ये वोग दिल्ली में नौकरी करने चले गए।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Fri, 20 Mar 2020 01:14 PM (IST) Updated:Fri, 20 Mar 2020 01:14 PM (IST)
Nirbhaya Case: निर्भया के दोषियों मुकेश व राम सिंह का नाम नहीं लेना चाहते इस गांव के लोग
Nirbhaya Case: निर्भया के दोषियों मुकेश व राम सिंह का नाम नहीं लेना चाहते इस गांव के लोग

नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। Nirbhaya Case. निर्भया सामूहिक दुष्कर्म के चारों दोषियों को शुक्रवार तड़के तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। चारों दोषियों में मुख्य दोषी मुकेश सिंह और राम सिंह राजस्थान में करौली जिले के भद्रवती नदी किनारे स्थित एक छोटे गांव कल्लादेह के निवासी थे। इनमें से राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। मुकेश सिंह को शुक्रवार को फांसी हुई। रामसिंह और मुकेश दोनों भाई थे। कल्लादेह गांव में मात्र 10 कच्चे घर हैं।

इस गांव में मात्र 50 लोग रहते हैं। गांव से एक से डेढ़ किलोमीटर दूर फिर एक छोटी बस्ती बसी हुई है। करौली जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर कल्लादेह गांव तक पहुंचने के लिए भद्रावती नदी पार करनी पड़ती है। गांव तक पहुंचने के लिए भद्रावती नदी पार करनी पड़ती है। गांव में आधारभूत सुविधाओं का अभाव है।

बेटों की करतूत के बाद मां गांव छोड़कर चली गई

गांव में मुकेश सिंह की मां कल्याणी रहती थीं, जो बेटे की करतूत के बाद गांव छोड़कर जा चुकी है। बेटे की करतूत के कारण हुई बदनामी के कारण वह कई दिन तक घर में बंद रही और फिर यहां ताला लगाकर चली गई। उसके घर से करीब दो सौ मीटर दूर धन सिंह अपने परिवार के साथ रहता है। धनसिंह से जब शुक्रवार को मुकेश सिंह को फांसी देने और निर्भया सामूहिक दुष्कर्म के बारे में बात करने की कोशिश की गई तो उसने साफ मना कर दिया। धन सिंह ने कहा कि हम उस जल्लाद का नाम ना तो सुनना चाहते हैं और ना ही लेना चाहते हैं। घटना के बाद गांव के सभी परिवारों ने पिछले सात साल से उस परिवार से नाता-रिश्ता तोड़ दिया।

कल्लादेह गांव के लोगों का कहना है कि मुकेश और राम सिंह कई साल पहले ही यहां से चले गए थे, लेकिन उनकी हैवानियत ने गांव ही नहीं बल्कि करौली जिले को सुर्खियों में ला दिया। अब मुकेश सिंह को फांसी की सजा होना कानून की जीत है। करीब डेढ़ किलोमीटर दूर एक बस्ती में जाने पर लोगों ने बताया कि मुकेश सिंह और राम सिंह दोनों भाई थे। उनके दो अन्य भाई भी। रामसिंह की शादी हुई थी और मुकेश सिंह अविवाहित था। शादी के कुछ समय बाद ही राम सिंह की पत्नी की मौत हो गई थी। पत्नी की मौत के बाद रामसिंह को शराब की लत लग गई थी। इसके बाद ये वोग दिल्ली में नौकरी करने चले गए। रामसिंह ड्राइवर था और मुकेश सिंह उसके साथ खलासी था। दोनों कभी ट्रक तो कभी बस पर काम करते थे।

मां कल्याणी कभी दिल्ली तो कभी गांव में रहती थी, लेकिन अपने पति की मौत के बाद वह गांव में रहने लगी थी। दोनों बेटों ने जब निर्भया सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया तो उसके बाद से आसपास के लोगों ने कल्याणी से बात करना बंद कर दिया था। आसपास के गांवों में रहने वाले रिश्तेदारों ने संबंध खत्म कर लिए थे। इस पर वह दो अन्य बेटों के पास दिल्ली चली गई। गांव वालों को यह पता नहीं कि वे दिल्ली में किस जगह रहते है। दोषी राम सिंह ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी और मुकेश सिंह को शुक्रवार को फांसी दी गई। 

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