Rajasthan: जनजाति प्रतिभाओं को रास आया राष्ट्रीय संगीत व नृत्य प्रतियोगिता का महाकुंभ
National Music and Dance Competition in Udaipur. प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने एकल नृत्य समूह नृत्य एकल गीत एवं समूह गीत पेश किया।
उदयपुर, जेएनएन। al Music and Dance Competition in Udaipur. जनजाति कार्य मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से एकलव्य मॉडल रेजिडेन्शीयल स्कूल (ईएमआरएस) की द्वितीय राष्ट्रीय संगीत एवं नृत्य प्रतियोगिता का महाकुंभ देशभर की जनजाति प्रतिभाओं को बड़ा रास आया। मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के विवेकानन्द सभागार में आयोजित इस महाकुंभ के दौरान जहां ये प्रतिभाएं विश्वभर में ख्यात लेकसिटी के नैसर्गिक सौंदर्य और बेनजीर शिल्प से रूबरू हुई वहीं मेवाड़ी आवभगत से भी कलाकार अभिभूत नजऱ आए।
प्रतियोगिता में 18 राज्यों से 600 से अधिक विद्यार्थियों ने एकल नृत्य, समूह नृत्य, एकल गीत एवं समूह गीत की प्रतियोगिताओं में देशभर की कला-संस्कृति की सतरंगी झलक प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि गीत व नृत्य
प्रस्तुतियों में आकर्षक वेशभूषा और भाषा के साथ वाद्ययंत्रों का वैविध्य दिखाई दिया वहीं एक मंच पर अलग-अलग प्रस्तुतियों से कलाकुंभ में सांस्कृतिक एकता भी उद्घाटित हुई। उन्होंने इस महोत्सव के सफल आयोजन में लगे विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष सहयोग प्रदान करने वाले समस्त कार्मिकों का आभार जताया।
इस महाकुंभ में भाग लेने आए प्रतिभागियों को लेकसिटी के समस्त प्रमुख पर्यटन स्थलों की भी सैर कराई गई, जिसका उन्होंने लुत्फ उठाया। सिक्किम की रिनचैन ओंगमु और पंगुर उडीसा की सुरेश साउन्ता का कहना था कि झीलों की नगरी के बारे में बहुत सुना था, इसको देखने की कल्पना भी की थी परंतु पहली बार इसे देखने व तीन दिन रहने का अवसर मिला। वास्तव में यह कल्पना से भी ज्यादा सुंदर व राजस्थान का कश्मीर है। उन्होंने यहां की झीलों की सुंदरता, कठपुतली प्रदर्शन के साथ शिल्पग्राम में मृणशिल्प की झलक को देखने के आनंद को जीवन का अविस्मरणीय अनुभव बताया।
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग से अतिरिक्त आयुक्त अंजलि राजौरिया ने बताया कि देशभर से आने वाले विद्यार्थियों व कलाकारों की सुविधार्थ प्रतियोगिताओं के सांस्कृतिक आयोजन, उद्घाटन, समापन कार्यक्रम,
प्रचार-प्रसार भ्रमण एवं भोजन आवास आदि के लिये अलग-अलग समितियों द्वारा बेहतर व्यवस्थाएं संपादित की गई वहीं आयोजन स्थल पर राजस्थानी कला, लोककला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु लगाई गई शिल्प, वन उत्पाद, पुस्तक और ज्वैलरी की स्टॉल्स का अन्य राज्यों से आए प्रतिभागियों ने लुत्फ उठाया व जमकर खरीदारी की। इसी प्रकार रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट एवं आवासीय स्थलों आदि पर विभाग द्वारा स्थापित हेल्पडेस्क का भी अन्य प्रदेशों से आए प्रतिभागियों और अतिथियों ने लाभ उठाया।