राजस्थानः जासूसी के मामले में जयपुर जेल में बंद पाकिस्तानी कैदी की पीट-पीटकर हत्या

Pakistani prisoner. राजस्थान की जयपुर सेंट्रल जेल में जासूसी के मामले में बंद एक पाकिस्तानी कैदी की हत्या का मामला सामने आया है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Wed, 20 Feb 2019 03:24 PM (IST) Updated:Wed, 20 Feb 2019 05:04 PM (IST)
राजस्थानः जासूसी के मामले में जयपुर जेल में बंद पाकिस्तानी कैदी की पीट-पीटकर हत्या
राजस्थानः जासूसी के मामले में जयपुर जेल में बंद पाकिस्तानी कैदी की पीट-पीटकर हत्या

जयपुर, जागरण संवाददाता। जासूसी एवं आतंकी गतिविधियों से जुड़े मामले में जयपुर सेंट्रल जेल में बंद एक पाकिस्तानी कैदी की हत्या का मामला सामने आया है। जेल में बंद कैदी शकीरूल्लाह उल्लाह उर्फ मोहम्मद हनीफ की बुधवार दोपहर में हत्या हुई। वह पाकिस्तान के सियालकोट का रहने वाला था। जेल में बंद चार अन्य कैदियों द्वारा आपसी विवाद के बाद उसकी हत्या किए जाने की बात सामने आई है।

जेल सूत्रों के अनुसार, पुलवामा में आतंकी हमले के एक दिन बाद जेल में बंद आठ पाकिस्तानी कैदियों ने टीवी देखते हुए पाक जिंदाबाद के नारे लगाए थे, इससे अन्य कैदियों में नाराजगी थी। इस बात को लेकर दोनों पक्षों में पिछले तीन दिन से कई बार विवाद भी हुआ, लेकिन जेल प्रशासन की दखल से मामला शांत हो गया। बुधवार को एक बार फिर कैदियों के दोनों गुटों में विवाद हुआ और इसी दौरान अन्य कैदियों ने शकीरूल्लाह की पीट-पीटकर हत्या कर दी। ये सभी कैदी एक ही बैरक में टीवी देख रहे थे। मृतक आतंकी संगठन सिमी और लश्कर ए तैयबा से जुड़ा हुआ था। वह यहां आजीवन कारावास की सजा काट रहा था।

अफसर बोले, टीवी की आवाज को लेकर विवाद था, हकीकत अलग
जेल के अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि कैदियों के बीच बैरक में लगे टीवी की आवाज को कम-ज्यादा करने को लेकर विवाद था। विवाद इतना बढ़ा कि अन्य कैदियों ने उसकी हत्या कर दी। उधर, सूत्रों ने बताया कि असली कारण मृतक द्वारा अपने साथियों के साथ मिलकर पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी करना है। इसको लेकर जेल में बंद अन्य कैदियों में नाराजगी थी और इसी के चलते बुधवार को मामला बढ़ा।

आठ सिमी आतंकी बंद है जयपुर जेल में
जयपुर सेंट्रल जेल में आठ आतंकी उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। इनमें से एक कैदी शकीरूल्लाह की अन्य कैदियों के साथ हुई मारपीट में हत्या की गई है। शकीरूल्लाह को साल, 2011 में एटीएस ने गिरफ्तार किया था और 30 नवंबर, 2017 को जयपुर अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट्र ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी। पूछताछ में सामने आया था कि वह अन्य आतंकियों के साथ मिलकर जासूसी और आतंकी गतिविधियों के लिए फंड की व्यवस्था करता था। बुधवार दोपहर हुई कैदी की हत्या के बाद जेल में हड़कंप मच गया। जेल प्रशासन ने तत्काल उच्च अधिकारियों और पुलिस को सूचना दी। कैदियों को कड़ी चौकसी में रखा गया। 

 

सूचना मिलने के तत्काल बाद जेल महानिदेशक एनआरके रेड्डी, जेल महानरीक्षक रूपेन्द्र सिंह और जयपुर पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव जेल में पहुंचे और मौके का मुआयना किया। एफएसएल की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की। इसके बाद शाकिर उल्लाह के शव को कड़ी सुरक्षा में एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है। गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों को इस घटना की जानकारी दी है। रेड्डी ने दैनिक जागरण को बताया कि एफएसएल की जांच रिपोर्ट आए बिना अधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता, मृतक के शव को मोर्चरी में रखवा दिया गया है। मामले की जांच की जा रही है। जेल और पुलिस के अधिकारी अन्य कैदियों से पूछताछ कर रहे हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले पाकिस्तान की जेल में कैद भारतीय नागरिक सरबजीत पर मई, 2013 में वहां के कैदियों ने जानलेवा हमला किया था। इस हमले में आई चोटों की वजह से वे कोमा में चला गया और बाद में उनकी मौत हो गई थी। इस वारदात के बाद 8 मई, 2013 को कोट भलवाल जेल में एक कैदी विनोद कुमार जोकि भारतीय सेना का पूर्व सैनिक था, ने मामूली कहासुनी के बाद पाकिस्तान निवासी एक अन्य कैदी सनाउल्लाह पर घास काटने के औजार से हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया था। बाद में उसकी चंडीगढ़ के पीजाआइ अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, सनाउल्लाह पर हमला उस समय हमला हुआ, जब वे घास काट रहा था। सनाउल्लाह हक पाकिस्तान के सियालकोट का रहने वाला था। उसे वर्ष 1996 में गिरफ्तार किया गया था। उस पर हत्या सहित कुल आठ मामले चल रहे थे। इनमें से दो में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। वहीं, उस पर हमला करने वाला भारतीय सेना का पूर्व सैनिक विनोद कुमार कोट भलवाल जेल में 2007 से बंद था। लद्दाख तैनाती के दौरान विनोद पर अपने एक सहकर्मी की हत्या का आरोप था। कोर्ट मार्शल में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
 

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