Rajasthan: गहलोत सरकार के मंत्री करेंगे जनसुनवाई, प्रतिमाह देनी होगी रिपोर्ट
Rajasthan राजस्थान में गहलोत सरकार के मंत्रियों को अपने जिलों के दौरों की रिपोर्ट नियमित रूप से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन को भेजनी होगी।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan: राजस्थान सरकार के मंत्री अब जिलों में जाकर आम लोगों के अभाव अभियोग सुनेंगे। मंत्रियों के साथ संबंधित जिलों के अधिकारी भी रहेंगे। जिला स्तर से जुड़े मामलों का मौके पर ही निरस्तारण किया जाएगा। जिलों के दौरे के दौरान मंत्रियों को एक दिन आम लोगों के अभाव अभियोग सुनने होंगे तो दूसरे दिन अधिकारियों की बैठक लेने के साथ ही जिला कांग्रेस कमेटियों के दफ्तरों में जाकर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ संवाद करना होगा। मंत्रियों को अपने दौरों की रिपोर्ट नियमित रूप से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन को भेजनी होगी। इस रिपोर्ट में मंत्रियों को यह बताना होगा कि उन्होंने अपने प्रभार वाले जिलों व निर्वाचन क्षेत्र के कितने दौरे किए और इस दौरान कितने लोग मिले। मुलाकात करने वाले लोगों के अभाव अभियोग का निस्तारण किया गया।
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने एक मंत्री को प्रतिदिन जयपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में बैठने की व्यवस्था कराई थी। इसके तहत प्रतिदिन एक मंत्री प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बैठकर लोगों के अभाव अभियोग सुनता था, लेकिन अजय माकन के प्रदेश प्रभारी बनते ही यह व्यवस्था बंद कर दी गई। इसके स्थान पर मंत्रियों को जिलों में जाने के लिए कहा गया है। माकन तक यह रिपोर्ट पहुंची थी कि प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में होने वाली मंत्रियों की जनसुनवाई का ग्रासरूट स्तर पर आम जनता और कार्यकर्ताओं में कोई खास प्रभाव नहीं पड़ रहा था। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय की जनसुनवाई की बजाय जिलों में आम जनता की सुनवाई से ज्यादा प्रभाव पड़ता है। नई व्यवस्था का मकसद मंत्रियों का जिलों में पार्टी के कार्यकर्ताओं तक सीधा संवाद कायम करना और जमीनी स्तर तक सरकार और पार्टी का फीडबैक लेना है, ताकि स्थानीय स्तर पर अगर जनता या कार्यकर्ताओं में नाराजगी हो तो उसे दूर किया जा सके। इस व्यवस्था से मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड भी तैयार होगा।
कांग्रेस मुख्यालय में जनसुनवाई का हाल
पिछले साल सितंबर में सत्ता और संगठन की हुई साझा बैठक में कांग्रेस मुख्यालय में मंत्रियों द्वारा जनसुनवाई किए जाने का सिस्टम शुरू करने का फैसला किया गया था। उसके बाद मंत्रियों की जन सुनवाई का सिलसिला बमुश्किल तीन माह ही चल पाया। फरवरी में विधानसभा का बजट सत्र और फिर कोराना महामारी के कारण कांग्रेस मुख्यालय में जनसुनवाई नहीं हुई। फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चले सियासी संग्राम के कारण यह काम बंद हो गया। पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से हटाने के बाद तो पूरी तरह से जन सुनवाई का कार्यक्रम बंद हो गया।