भाजपा के बनाए दीन दयाल स्मारक पर गहलोत सरकार ने डाले ताले

Pandit Deendayal Upadhyay Memorial. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मारक में ताले लगा दिए हैं।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Sun, 09 Jun 2019 12:54 PM (IST) Updated:Sun, 09 Jun 2019 12:54 PM (IST)
भाजपा के बनाए दीन दयाल स्मारक पर गहलोत सरकार ने डाले ताले
भाजपा के बनाए दीन दयाल स्मारक पर गहलोत सरकार ने डाले ताले

नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। पाठ्यक्रम में बदलाव के बाद राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मारक में ताले लगा दिए हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जनसंघ के विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय भाजपा के पितामह माने जाते हैं। जयपुर जिले में स्थित धानक्या गांव में पिछली वसुंधरा राजे सरकार ने 12 करोड़ रुपये की लागत से 4400 वर्गमीटर क्षेत्रफल में दीनदयाल उपाध्याय स्मारक का निर्माण करवाया था।

यहां दीनदयाल उपाध्याय की अष्टधातु की 15 फीट ऊंची आदमकद मूर्ति लगवाई गई थी। सितंबर, 2018 में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल और तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे ने इसका उद्धाटन किया। लेकिन सरकार बदलते ही इस स्मारक का हाल बेहाल हो गया। पाठ्क्रम व सरकारी दस्तावेजों से आरएसएस और दीनदयाल उपाध्याय की छाप हटाने वाले अशोक गहलोत सरकार ने इस स्मारक में ताले लगवा दिए। हालांकि अब भाजपा और संघ की प्रदेश इकाई इस स्मारक को अपने संरक्षण में लेने का प्रयास कर रही है, जिससे की इसकी देखरेख हो सके।

चार मंजिला स्मारक हो रहा दुर्दशा का शिकार

60 फीट ऊंचा चार मंजिला पंडित दीनदयाल स्मारक अब दुर्दशा का शिकार हो रहा है। तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने इस स्मारक की देखरेख की जिम्मेदारी कला व सांस्कृति विभाग को सौंपी थी और इसका निर्माण राज्य सरकार के विरासत संरक्षण व प्रोन्नति प्राधिकरण ने करवाया था। स्मारक में एक दर्जन कर्मचारी लगाए गए थे। इनमें से आधे तो कला व संस्कृति विभाग के कर्मचारी थे और शेष ठेकाकर्मी थे। गहलोत सरकार ने मार्च माह में इन कर्मचारियों को हटाकर स्मारक के ताले लगवा दिए।

महज एक सुरक्षाकर्मी यहां अवश्य तैनात है, उसे भी पिछले चार माह से वेतन नहीं मिला। सुरक्षाकर्मी का कहना है कि वह अकेला इतने बड़े स्मारक की देखभाल नहीं कर सकता, इस कारण यहां से कई सामान चोरी हो गए। स्मारक के बाहर लगी बड़ी-बड़ी महंगी लाइटें तो विधानसभा चुनाव के दौरान ही लोग उतारकर ले गए थे। स्मारक में उपाध्याय की मूर्ति के अलावा उनके जीवन से जुड़ी सभी घटनाओं को भित्ति चित्रों और अन्य तरीकों से प्रदर्शित किया गया है। उनकी जनसभाएं, बड़े नेताओं से मुलाकातें, जीवन की प्रमुख घटनाएं आदि को यहां प्रदर्शित किया गया है।

अब भाजपा और संघ हुए सक्रिय

स्मारक की दुर्दशा होती देख अब भाजपा और संघ की प्रदेश इकाई सक्रिय हुई है। स्मारक की स्थापना तो सरकारी पैसों से राज्य सरकार के विरासत संरक्षण व प्रोन्नति प्राधिकरण द्वारा की गई थी। लेकिन स्थापना के समय इससे जुड़ी प्रबंध समिति में भाजपा और संघ के नेताओं को आजीवन ट्रस्टी बना दिया था। इनमें वसुंधरा राजे, ओंकार सिंह लखावत, दुर्गादास, रामप्रसाद, अरुण चतुर्वेदी आदि नेता शामिल है। अब यह समिति सरकार से स्मारक की देखभाल का जिम्मा संभालने का आग्रह करेगी। 

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