सचिन पायलट खेमे के कांग्रेस विधायकों की बगावत के समय टेलीफोन टेप करने की बात सरकार ने स्वीकारी

सचिन पायलट खेमे की बगावत पर फोन टेपिंग मामले में गहलोत सरकार ने कहा हां हुए थे सरकार ने कहा सक्षम अधिकारी की अनुमति से होते हैं फोन टेप भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने पिछले साल अगस्त में फोन टेप किए जाने को लेकर सरकार से सवाल पूछा था।

By Priti JhaEdited By: Publish:Mon, 15 Mar 2021 01:16 PM (IST) Updated:Mon, 15 Mar 2021 01:16 PM (IST)
सचिन पायलट खेमे के कांग्रेस विधायकों की बगावत के समय टेलीफोन टेप करने की बात सरकार ने स्वीकारी
पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में पिछले साल जुलाई माह में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे के कांग्रेस विधायकों की बगावत के समय टेलीफोन टेप करने की बात सरकार ने स्वीकारी है। विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार की तरफ से कहा गया कि सक्षम स्तर से मंजूरी के बाद फोन टेप किए जाते हैं। नवंबर, 2020 तक के सभी फोन टेपिंग के मामलों की मुख्य सचिव स्तर पर समीक्षा भी की जा चुकी है। हालांकि सरकार ने अपने जवाब में विधायकों या केेंद्रीय मंत्री के फोन टेप करने को लेकर स्पष्ट रूप से कोई बात नहीं कही। लेकिन भाजपा विधायक कालीचरण सराफ के सवाल पूछने के समय को देखते हुए सरकार के जवाब को बागी विधायकों के फोन टेपिंग से जुड़ा माना जा रहा है।

दरअसल, उस समय पायलट खेमे के विधायकों और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के फोन टेप कराने को लेकर सरकार ने आरोप लगाए थे। पायलट खेमे के विधायकों ने तो इस बारे में खुलकर सरकार पर उस समय आरोप लगाए थे। भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने पिछले साल अगस्त में फोन टेप किए जाने को लेकर सरकार से सवाल पूछा था। इस वक्त को देखते हुए सरकार का जो जवाब आया है उसे बागी विधायकों और केंद्रीय मंत्री के फोन टेप से जुड़ा हुआ माना जा रहा है। सराफ ने दैनिक जागरण को बताया कि मैने विधायकों और नेताओं के फोन टेप करने को लेकर अगस्त में सवाल लगाया था। विधानसभा की वेबसाइट पर जवाब दर्शाया गय गया है ।

वायरल हुए थे ऑडियो टेप

दरअसल, पायलट खेमे के 19 विधायकों ने पिछले साल जुलाई में गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत की थी। इन विधायकों को मानेसर स्थित एक होटल में रखा गया था। उसके बाद 15 जुलाई,2020 को गहलोत खेमे की तरफ से कुछ ऑडियो टेप सार्वजनिक रूप से जारी किए गए थे। गहलोत खेेमे ने दावा किया था कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत,कांग्रेस विधायक विश्वेंद्र सिंह व भंवरलाल शर्मा की बातचीत इन टेप में है। उस समय सरकार गिराने और पैसों के लेनदेन को लेकर बातचीत सुनाई दे रही थी। गहलोेत ने सार्वजनिक रूप से कई बार कहा था कि ये टेप सरकार गिराने के षडयंत्र में करोड़ों के लेनदेनके सबूत है। हालांकि जिन नेताओं की आवाज इन टेेप में होने की बात कही गई थी उनकी वाइस टेप नहीं हुई थी। सरकार ने मामले की जांच राज्य एसओजी व भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंपी थी ।

विधायक का सवाल और सरकार का जवाब

विधायक सराफ ने अगस्त में पूछा था कि क्या यह सही है कि विगत दिनों में फोन टेप किए जाने के प्रकरण सामने आए हैं। यदि हां तो किस कानून के अंतर्गत और किसके आदेश पर,पूरा ब्योरा सदन की मेज पर रखें । सरकार ने इसका जवाब देते हुए कहा,लोगों की सुरक्षा या कानून व्यवस्था को खतरा उत्पन्न होने पर सक्षम अधिकारी की अनुमति लेकर फोन सर्विलांस पर टेप किए जाते हैं। भारतीय तार अधिनियम 1985 की धारा 5 व 2 और आईटी एक्ट की धारा-69 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार फोन टेप किए जाते हैँ । पुलिस इन प्रावधानों के तहत ही सक्षम अधिकारी से मंजूरी लेकर फोन टेप किए हैं।

सर्विलांस किए गए फोन की मुख्य सचिव स्तर पर बनी समिति समीक्षा करती है । अब तक पिछले साल नवंबर तक के फोन सर्विलांस और टेपिंग मामलों की समीक्षा की जा चुकी है। पायलट खेमे के विधायक रमेश मीणा का कहना है कि उस समय हमारे फोन टेप हुए थे। हम राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के आश्वासन पर वापस लौटे हैं । हमारा कांग्रेस नेतृत्व में पूरा विश्वास है।

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