Rajasthan: गहलोत सरकार 31 हजार शिक्षकों की भर्ती करेगी

Rajasthan राजस्थान में शीघ्र ही 31 हजार शिक्षकों की भर्ती होगी। शिक्षा विभाग ने 31 हजार तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती के संबंध में प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा था जिसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंजूरी दे दी है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Wed, 14 Oct 2020 08:56 PM (IST) Updated:Wed, 14 Oct 2020 10:43 PM (IST)
Rajasthan: गहलोत सरकार 31 हजार शिक्षकों की भर्ती करेगी
गहलोत सरकार 31 हजार शिक्षकों की भर्ती करेगी।

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान सरकार 31 हजार तृतीय श्रेणी के शिक्षकों की भर्ती करेगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शिक्षकों की भर्ती को मंजूरी दी है। बुधवार को वित्त विभाग के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दे दी। अब परीक्षा के माध्यम से भर्ती की जाएगी। शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने संकेत दिए हैं कि अब जल्द ही परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि गहलोत ने अपने बजट भाषण में कुल 53 हजार पदों पर भर्ती की घोषणा की थी। इनमें से 41 हजार पद शिक्षा विभाग के हैं। शिक्षा विभाग ने 31 हजार तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती के संबंध में प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा था, जिसे मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी है।गहलोत द्वारा वित्त विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद इन पदों पर भर्ती से राज्य सरकार पर दो साल तक परिवीक्षा काल में 881.61 करोड़ का भार पड़ेगा। इसके बाद 1717.40 करोड़ रुपये प्रति वर्ष का वित्तीय भार आएगा। 

गहलोत बोले, महाराष्ट्र के राज्यपाल की टिप्पणी गलत

महाराष्ट्र में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच धार्मिक स्थल को लेकर हुए चिट्ठी विवाद में अब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की एंट्री हुई है। गहलोत ने इस मामले में बुधवार को ट्वीट किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले को संज्ञान में लेने की अपील की है। गहलोत ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘राजस्थान में जब धार्मिक स्थल खोलने के लिए गाइडलाइंस जारी की गई थीं, तब सभी धर्मों के गुरुओं ने खुद ही धार्मिक स्थल ना खोलने का फैसला किया। गहलोत ने लिखा कि दूसरी ओर महाराष्ट्र के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लेकर जो टिप्पणी की है, वह बिल्कुल ठीक नहीं है। लोकतंत्र में इस तरह के बयान स्वीकार नहीं हैं। एक मुख्यमंत्री को इस तरह की चिट्ठी लिखकर राज्यपाल ने एक सरकारी पद की गरिमा को गिराया है, ऐसे में प्रधानमंत्री को इस मामले में दखल देना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने राज्य में धार्मिक स्थल खोलने को लेकर सरकार की राय पूछी थी, साथ ही राज्यपाल ने ये भी कहा था कि आप खुद को हिंदुत्व का पुरोधा कहते हैं। लेकिन राज्य में मंदिरों से पहले शराब की दुकानें खोल दी गईं। राज्यपाल की इस चिट्ठी के बाद काफी राजनीतिक बवाल हुआ था। उद्धव ठाकरे ने जवाब में राज्यपाल को लिखा था कि उन्हें किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं हैं, राज्य में कोरोना के केस को ध्यान में रखते हुए ही सरकार फैसला कर रही है।

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