Rajasthan: देश में पहली बार राजस्थान में लागू होगा जवाबदेही कानून

Gehlot government. गहलोत सरकार जवाबदेही कानून के माध्यम से सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मनमानी पर अंकुश लगाने और आम लोगों को राहत देने का प्रयास कर रही है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Mon, 30 Dec 2019 02:02 PM (IST) Updated:Mon, 30 Dec 2019 06:21 PM (IST)
Rajasthan: देश में पहली बार राजस्थान में लागू होगा जवाबदेही कानून
Rajasthan: देश में पहली बार राजस्थान में लागू होगा जवाबदेही कानून

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। Gehlot government.. देश में पहली बार राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार "जवाबदेही कानून" लागू करेगी। कानून बनकर तैयार है, नए साल मे इसे लागू कर दिया जाएगा। जवाबदेही कानून के दायरे में 25 विभागों की 220 सेवाओं को शामिल किया गया है। गहलोत सरकार जवाबदेही कानून के माध्यम से सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मनमानी पर अंकुश लगाने और आम लोगों को राहत देने का प्रयास कर रही है। एक साल पहले सत्ता संभालते ही सीएम गहलोत ने सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की जिम्मेदार तय करने की घोषणा की थी। इसके लिए उन्होंने देश में पहली बार प्रदेश में जवाबदेही कानून बनाने की बात कही थी।

कानून का मसौदा तैयार करने के लिए गहलोत ने उच्च स्तरीय कमेटी गठित की थी। कमेटी ने गहलोत की मंशा के अनुसार कानून का मसौदा तैयार कर लिया है। अब नए साल में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस कानून पर मुहर लगाई जाएगी। इस कानून में पंचायती राज, जलदाय, स्वायत्त शासन, सार्वजनिक निर्माण, सिंचाई, ऊर्जा, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, परिवहन, कृषि, कृषि विपणन, स्थानीय निकाय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, शिक्षा, चिकित्सा, देवस्थान, ग्रामीण विकास, वन, रोड़वेज आदि विभागों और जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय से जुड़ी सेवाओं को शामिल किया गया है।

काम नहीं करने वाले अधिकारियों को मिलेगा दंड

राज्य के स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल का दावा है कि देश में पहली बार राजस्थान में इस तरह का कानून अमल में लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि सेवाओं की गारंटी और अधिकारियों की जवाबदेही को इस कानून में शामिल किया गया है। जवाबदेही कानून के तहत प्रदेश में प्रत्येक पंचायत समिति एवं नगर पालिका स्तर पर सुनवाई होगी। इसके लिए पंचायत समिति एवं नगर पालिक स्तर पर सूचना और सहयोग केंद्र स्थापित होंगे। उपखंड अधिकारी की अगुवाई में एक कमेटी गठित होगी। यह कमेटी आम लोगों की पानी, बिजली, शौचालय, सड़क, राशन, जन्म प्रमाण-पत्र, मृत्यु प्रमाण-पत्र, जाति-प्रमाण-पत्र, विधवा पेंशन, वाहन चालक का लाइसेंस सहित आम लोगों से जुड़ी समस्याओं की सुनवाई करेगी।

सुनवाई के बाद संबंधित विभागों के अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वे शिकायतों का निस्तारण करें। सुनवाई के बाद शिकायत का निस्तारण यदि एक माह में नहीं होता है तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एक माह बाद शिकायत पर जिला सतर्कता समिति सुनवाई करेगी। जिला स्तरीय समिति में मामलों का निस्तारण तय समय पर करना होगा, यदि इसमें कोई अधिकारी या कर्मचारी टालमटोल करेगा तो उसको दंड दिया जाएगा।

कमेटी ने सामाजिक संगठनों एवं आम लोगों की राय ली

कमेटी में सेवानिवृत आइएएस अधिकारी रामलुभाया,सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे, प्रो.देवेंद्र कोठारी के साथ अलवर एवं उदयपुर जिलों के कलेक्टरों को शामिल किया गया था। सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा राय के सुझाव के अनुसार सीएम गहलोत ने कमेटी को कानून के दायरे में लाए जाने वाले विभागों और सेवाओं को जोड़ने के लिए कहा था। कमेटी ने देश और प्रदेश के विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, वकीलों, प्रोफेसर्स और आम लोगों की राय लेकर कानून का मसौदा तैयार किया है। उल्लेखनीय है कि गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में देश में पहली बार सूचना का अधिकार देश में सबसे पहले राजस्थान में ही लागू किया था।

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