President Election 2022: द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान में सीखा था राजयोग, ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से रहा है गहरा लगाव

President Election 2022 द्रौपदी मुर्मू 13 साल पहले साल 2009 में आबू रोड स्थित ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय संस्थान से जुड़ी थीं। बेटे की मौत के बाद ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से जुड़ीं और अब तक उनका यहां निरंतर संपर्क है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Wed, 22 Jun 2022 06:02 PM (IST) Updated:Wed, 22 Jun 2022 06:02 PM (IST)
President Election 2022: द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान में सीखा था राजयोग, ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से रहा है गहरा लगाव
द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान में सीखा था राजयोग, ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से रहा है गहरा लगाव। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, जयपुर। राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का राजस्थान से नाता रहा है। वह कई बार प्रदेश के माउंट आबू और आबू रोड़ आ चुकी हैं। अध्यात्म में दिलचस्पी रखने वाली द्रौपदी मुर्मू 13 साल पहले साल, 2009 में आबू रोड स्थित ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय संस्थान से जुड़ी थीं। बेटे की मौत के बाद ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से जुड़ीं और अब तक उनका यहां निरंतर संपर्क है। मानसिक तनाव दूर करने के लिए उन्होंने यहां राजयोग सीखा था। राजयोग के माध्यम से मानसिक तनाव दूर करने का प्रयास किया।

संस्थान के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय ने बताया कि 13 साल से मुर्मू नियमित तौर पर आबू रोड आती हैं। आबू रोड के साथ ही माउंट आबू में होने वाले संस्थान के कार्यक्रमों में शामिल होती हैं। मृत्युंजय ने बताया कि पहले बेटे की साल, 2009 और फिर दूसरे की साल, 2012 में मौत होने के बाद उन्होंने 2014 में पति को खो दिया। इसके बाद वह अध्यात्म के ज्यादा करीब आ गईं। विधायक और झारखंड की राज्यपाल रहते हुए उन्होंने अध्यात्म के प्रचार-प्रसार में योगदान दिया।

31 जनवरी, 2016 और आठ फरवरी, 2020 को मूल्य शिक्षा महोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने आईं मुर्मू ने यहां रहने वाले लोगों से व्यक्तिगत तौर पर संवाद किया था। राष्ट्रपति पद के लिए मुर्मू के नाम की घोषणा होने के बाद संस्थान के सदस्यों में खुशी की लहर है। मृत्युंजय ने बताया कि उनकी बुधवार सुबह मुर्मू से फोन पर बात हुई है। बातचीत के दौरान मुर्मू ने शीघ्र ही आबू रोड आने का वादा किया है।

गौरतलब है कि द्रौपदी मुर्मू के पास वृहद प्रशासनिक अनुभव है। वह ओडिशा में परिवहन, वाणिज्य, मत्स्य व पशुपालन विभाग की मंत्री रही हैं। 64 वर्षीय मुर्मू ने राजनीतिक करियर का आरंभ पार्षद के रूप में किया और बाद में ओडिशा के रायरंगपुर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की वाइस चेयरमैन बनीं। संताल आदिवासी समुदाय से आने वाली मुर्मू ने झारखंड के राज्यपाल के तौर पर भी अपनी प्रशासनिक दक्षता की छाप छोड़ी है। भुवनेश्वर के रमा देवी कालेज से कला स्नातक मुर्मू ने राजनीति और समाजसेवा में लगभग दो दशक का समय व्यतीत किया।

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