गहलोत सरकार के मंत्रियों और अफसरों में विवाद, हर बार ब्यूरोक्रेट्स पर भारी पड़े 'मंत्री महोदय'

मंत्रियों से भिड़ने वाले ब्यूरोक्रेट्स पर अक्सर तबादले की गाज गिरती रही है। विवादों में रहने वाले अफसरों का तबादला कर दिया जाता है। नये घटनाक्रम में भी इससे इंकरी नहीं किया जा रहा क्योंकि गहलोत सरकार का अब तक का इतिहास यही रहा है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 10:50 AM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 10:50 AM (IST)
गहलोत सरकार के मंत्रियों और अफसरों में विवाद, हर बार ब्यूरोक्रेट्स पर भारी पड़े 'मंत्री महोदय'
राजस्थान में एक बार फिर अशोक गहलोत सरकार के मंत्री अधिकारी आमने-सामने।

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में एक बार फिर अशोक गहलोत सरकार के मंत्री अधिकारी आमने-सामने हो गये हैं। इस बार विवाद स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल और अजमेर की संभागीय आयुक्त आरुषि मलिक के बीच अधिकारों को लेकर हुआ है। इस पर मंत्री ने संभागीय आयुक्त के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । मंत्रियों से भिड़ने वाले ब्यूरोक्रेट्स पर अक्सर तबादले की गाज गिरती रही है। विवादों में रहने वाले अफसरों का तबादला कर दिया जाता है। नये घटनाक्रम में भी इससे इंकरी नहीं किया जा रहा, क्योंकि गहलोत सरकार का अब तक का इतिहास यही रहा है।

 इन मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट्स में हो चुका विवाद

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएस) की अधिकारी श्रेया गुहा और तत्कालीन पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बीच पर्यटन विकास निगम के टेंडर को लेकर विवाद हुआ। विश्वेंद्र सिंह ने निगम के तत्कालीन महाप्रबंधक एच गुइटे की विदेश यात्रा तक निरस्त करवा दी थी। उसके बाद गुइटे को पद से हटवा दिया। वहीं पर्यटन विभाग की प्रमुख सचिव श्रेया गुहा वहां से हटाकर वन एवं पर्यावरण विभाग में भेज दिया था। विश्वेंद्र सिंह पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के विश्वस्त है, उन्होंने पायलट के साथ ही सीएम गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला था। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नरेश पाल गंगवार और सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना के बीच विवाद हुआ। इस विवाद में गंगवार को सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव पद से हटा दिया गया। उन्हे उद्योग विभाग में लगा दिया गया।

परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और तत्कालीन परिवहन आयुक्त राजेश यादव के बीच काफी समय तक अनबन रही। इसका परिणाम यह हुआ कि यादव का परिवहन आयुक्त पद से तबादला कर दिया गया। अब वे जलदाय विभाग में सचिव हैं ।

इसी तरह आईएएस अधिकारी मुग्धा सिन्हा का खाद्य विभाग के पूर्व मंत्री रमेश मीणा से विवाद हुआ। कई बार सार्वजनिक बयानबाजी भी हुई। आखिरकार मुग्धा सिंहा को हटा दिया गया। हालांकि बाद में मीणा को भी पायलट के साथ सीएम के खिलाफ मोर्चा खोलने के कारण मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया।

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी समित शर्मा का चिकित्सा मंत्री डॉ.रघु शर्मा से विवाद हुआ तो उनका तबादला जोधपुर के संभागीय आयुक्त पद पर कर दिया गया। शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा और शिक्षा सचिव मंजू राजपाल के बीच कागज खरीद को लेकर अनबन हुई। लंबी खींचतान के बाद राजपाल को शिक्षा विभाग से हटा दिया गया । खानमंत्री प्रमोद जैन व तत्कालीन खान सचिव दिनेश कुमार के बीच खान आवंटन को लेकर विवाद हुआ । इस विवाद के कारण दिनेश कुमार को छह माह में ही हटा दिया गया ।

अब धारीवाल और मलिक के बीच स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान कार्मिकों के तबादलों को लेकर विवाद हुआ है । उल्लेखनीय है कि विवादों के चलते सीकर के तत्कालीन कलेक्टर यज्ञमित्र सिंह देव, पर्यटन विकास निगम के तत्कालीन एमडी डा. कुंजबिहारी पांड्या, चूरू के तत्कालीन कलेक्टर संदेश नायक, बाड़मेर के तत्कालीन कलेक्टर हिमांशु गुप्ता और अंशदीप तथा कोटा के तत्कालीन कलेक्टर ओमप्रकाश को हटा दिया गया था ।सभी के बीच विवादों का कारण तबादले, सरकारी खरीद अथवा विभाग में प्रभाव जमाना रहे ।

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